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जून 18 – तुच्छ न जानकर !

“वह लाचार की प्रार्थना की ओर मुँह करता है,और उनकी प्रार्थना को तुच्छ नहीं जानता।”(भजन 102 :17)

हमारे परमेश्वर प्रार्थना को सुनने वाले ही नहीं है वरन प्रार्थना का उत्तर भी देते हैं।भजनकार उनका नाम “प्रार्थना को सुनने वाले”(भजन 65:2) कह कर पुकारते हैं। आज भी परमेश्वर आपके प्रार्थना को सुनने वाले हैं। “वे लाचार की प्रार्थना की ओर मुंह करते हैं और उनकी प्रार्थना को तुच्छ नहीं जानते। ” (भजन 102:17) ऐसा पवित्र शास्त्र कहता है।

ये लाचार लोग कौन हैं? लाचार शब्द का अर्थ अंग्रेजी शब्दकोश में हम देखें तो मां और पिता को खो देने वाले अनाथ लोग, गरीब लोग अकेले रहने वाले लोग इस तरह के कई अर्थ हम वहां देखते हैं। लेकिन यहां पर लाचार का मतलब केवल गरीब लोगों से नहीं है। वह स्थिति किसी की भी हो सकती है। वह राजा भी हो सकता है या राजकुमार भी हो सकता है। यह एक मदद के बिना, सांत्वना के बिना किसी इंसान के बारे में बताता है।

पवित्र शास्त्र में यहोशापात नाम के एक राजा को देखें!  उसके जीवन में बहुत सारी समस्याएं और कष्ट आए। उसकी सामर्थ से अधिक बड़ी सेना उसके विरोध में आ खड़ी हुई। उस समय में वह ,”हे हमारे परमेश्वर, क्या तू उनका न्याय न करेगा? यह जो बड़ी भीड़ हम पर चढ़ाई कर रही है, उसके सामने हमारा तो बस नहीं चलता और हमें कुछ सूझता नहीं कि क्या करना चाहिये? परन्तु हमारी आँखें तेरी ओर लगी हैं।” ऐसा एक लाचार की तरह परमेश्वर को देख कर रोया। (02 इतिहास 20:12)

सन 2015 में चेन्नई शहर में एक बड़ी बाढ़ जब आई तब बहुत सारे लोग उससे प्रभावित हुए। अचानक वे लाचार की तरह हो गए। बड़े-बड़े करोड़पति भी बैंक से या किसी अन्य प्रकार से पैसा निकालने में असमर्थ थे। उनके हाथ में बड़े महंगे फोन थे लेकिन फिर भी वह उनसे किसी भी व्यक्ति से संपर्क करने में असमर्थ थे।

वे जो बड़ी महंगी बेंज(Benz) कार वगैरह रखे थे वह सब पानी में डूब गईं। भोजन के लिए और उनकी प्रतिदिन की आवश्यकताओं के लिए वे लाचार से दिखाई दिए। अचानक से प्राकृतिक आपदाएं आ जाती हैं। सारी परिस्थितियां बदल जाती हैं। तब वह कोई भी हो वे लाचार जैसी स्थिति में बदल जाते हैं।

परमेश्वर के प्यारे बच्चों जब आप इस लाचार परिस्थिति से होकर गुजरें तो परमेश्वर को पुकारें। परमेश्वर निश्चित ही आपकी मदद करेंगे। आज की इस लाचार परिस्थिति से आपको परमेश्वर ऊपर उठाकर आशीषित करेंगे।

ध्यान करने के लिए, “मैं तुम्हें अनाथ नहीं छोड़ूँगा; मैं तुम्हारे पास आता हूँ।”(यूहन्ना 14:18)।

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