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जुलाई 08 – एलिय्याह की सच्चाई!

“स्त्री ने एलिय्याह से कहा, “अब मुझे निश्चय हो गया है कि तू परमेश्वर का जन है; और यहोवा का जो वचन तेरे मुंह से निकलता है, वह सच होता है” (1 राजा 17:24)।

कुछ लोग अपने बारे में गवाही देते हैं और कुछ लोग दूसरों के बारे में गवाही देते हैं। परन्तु परमेश्वर स्वयं कुछ लोगों की गवाही देते हैं। एलिय्याह के संबंध में, बहुत से लोगों ने उसकी विश्वासयोग्यता की गवाही दी और परमेश्वर ने भी उसकी गवाही दी। सारपत की विधवा, जो एक अन्यजाति में से थी, एलिय्याह की विश्वासयोग्यता की गवाही दी। उसने उसे यह कहते हुए संबोधित किया, “तू परमेश्वर का जन है ” और यह उसकी पहली गवाही थी। फिर उसने कहा, “जो वचन तेरे मुंह से निकलता है, वह सच होता है” और यह उसकी अगली गवाही थी।

दूसरे आपके बारे में कैसी गवाही देते हैं? आप दूसरों को दो आंखों से देखते हैं लेकिन आपको पता होना चाहिए कि दूसरे आपको हजारों आंखों से देख रहे हैं। जब आपको इस तरह देखा जाता है, तो क्या आप परमेश्वर की संतान की तरह दिखते हैं? क्या दूसरे लोग गवाही देंगे कि आप जो वचन बोलते हैं वे परमेश्वर के हैं और वे वचन सत्य हैं।

एलियाह की सच्चाई क्या है? सच तो यह है कि वह परमेश्वर का भक्त था और वह परमेश्वर की उपस्थिति में खड़ा होने वाला व्यक्ति था। एलिय्याह भी हमारे जैसे दु:ख-सुख भोगी एक साधारण व्यक्ति था। लेकिन उसने परमेश्वर का अनुसरण करते हुए हर चीज में सच्चा होने का संकल्प लिया। प्रतिदिन, भोर को उसने परमेश्वर के सामने, उनकी उपस्थिति में खड़ा होना शुरू किया।

ध्यान से पढ़ें, वे शब्द जो उसने अहाब से पहली बार कहे थे। उसने कहा, “इस्राएल का परमेश्वर यहोवा जिसके सम्मुख में उपस्थित रहता हूं, उसके जीवन की शपथ ” (1 राजा 17:1)। इस तरह उसका परिचय हुआ। यही उसकी महानता थी। यही उसकी ताकत का राज था। यही उसकी विश्वासयोग्यता थी।

चूँकि एलिय्याह को प्रतिदिन परमेश्वर के सामने उपस्थित होने की आदत थी, इसलिए वह राजा अहाब के सामने खड़े होने से नहीं डरता था। परमेश्वर के सामने सच्चाई से उपस्थित रहने से उसमें इतना विश्वास आया कि उसने कहा, ‘इन वर्षों में मेरे बिना कहे, न तो मेंह बरसेगा, और न ओस पड़ेगी।’ यदि आप हर दिन परमेश्वर की उपस्थिति में खड़े होते हैं और उसकी स्तुति करते हैं ,तो परमेश्वर आपको और भी अधिक ऊंचा उठाएंगे। डॉक्टरों और वकीलों के सामने पूरी दीनता के साथ खड़े होने की आवश्यकता आपके लिए  उत्पन्न नहीं होगी।

एलीशा भी अपने बारे में यही शब्द कहता है। “सेनाओं का यहोवा, जिसके सम्मुख मैं उपस्थित रहा करता हूं, उसके जीवन की शपथ” (2 राजा 3:14)। स्वर्गदूत जिब्राईल अपने बारे में कहता है, “मैं जिब्राईल हूँ, जो परमेश्वर के साम्हने खड़ा रहता हूं ” (लूका 1:19)। परमेश्वर के प्रिय बच्चों, यह एलिय्याह की सच्चाई है। यही एलीशा की सफलता का कारण है। जिब्राईल का गौरव भी वही है। क्या आप भी परमेश्वर की उपस्थिति में सच्चाई और विश्वासयोग्यता के साथ खड़े होंगे?

ध्यान करने के लिए: “मेरी बातें मेरे मन की सिधाई  प्रकट करेंगी; जो ज्ञान में रखता हूं उसे खराई के साथ कहूंगा” (अय्यूब 33:3)।

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