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जून 21 – बुद्धि और ज्ञान वाला मनुष्य!

“देश में पाप होने के कारण उसके हाकिम बदलते जाते हैं;परन्तु समझदार और ज्ञानी मनुष्य के द्वारा सुप्रबन्ध बहुत दिन के लिये बना रहेगा।”(नीति वचन 28 :2)

नीति वचन की पुस्तक को रुचि से पढ़ने वालों की जिंदगी अच्छी और समृद्ध रहती है। पवित्र जिंदगी जीने के लिए, जयवंत जीवन जीने के लिए, सेवकाई के लिए यह ज्ञान की बातें बहुत उपयोगी हैं।

संसार में जो भी अपनी शादीशुदा जिंदगी को शुरू करते हैं, वह युवा एवं युवतियां इन ज्ञान की बातों के गहराई में जाकर बहुमूल्य मोतियों सी परमेश्वर की सलाह को रुचि के साथ ग्रहण कर उसे अपने कार्यकलापों में उपयोग करें।

प्रमुख उपदेशक अलेक्जेंडर मैक्लेन कहते हैं, “नीति वचन हमेशा अपने साथ रखने वाली अच्छी और श्रेष्ठ औषधि है, युवावस्था की खुमारी को दूर करके वह स्वास्थ्य को लाती हैं।”यह बातें कितनी सच हैं!

नीति वचन की पुस्तक को पढ़ने के द्वारा बहुत सारे जवान लड़के लड़कियां मसीही विश्वास में आये हैं। सांसारिक ज्ञान को पाने के लिए इसे पढ़ना शुरू किया किंतु परमेश्वर के प्रेम से वे आगे खींचे गए। देखिए  ऐसे लोग कैसी गवाही देते हैं? ‘संसारी ज्ञान के लिए इस पुस्तक को पढ़ना शुरू किया किंतु इस पुस्तक के ज्ञान ने इसे प्रकाशित करने वाले परमेश्वर की ओर हमारे मार्ग को मोड़ दिया । शब्दों को पढ़ने के द्वारा शब्दों को बनाने वाले उस परमेश्वर को हम लोगों ने जाना’ ऐसा वे कहते हैैं।

सुसमाचार सुनाने के लिए पवित्रशास्त्र के भले वचनों का एक हिस्सा, यह नीति वचन की पुस्तक है। नीति वचन को यदि हम पढ़ते हैं तो मसीह को जानने वाले ज्ञान को हम पा सकते हैं। यह ज्ञान की बातें आपके जीवन के लिए पूर्ण रूप से स्तंभ के रूप में बनी रहती हैं।

आपके घर के बच्चों को और युवाओं को नीतिवचन की पुस्तक को पढ़ने के लिए उत्साहित करें।तब परमेश्वरीय ज्ञान छोटी सी उम्र से ही उनके अंदर में भरा रहेगा।जितना भी अधिक वह लोग उसे पढ़कर उसका ध्यान करते हैं उतना ही परमेश्वर के वचन उनके अंदर में जड़ पकड़ेंगे। वह लोग कथनी और करनी में  ज्ञानवान बने रहेंगे।

जो लोग परमेश्वर के द्वारा दिये गए ज्ञान को तुच्छ जानते हैं वे अपने जीवन को अज्ञानतावश खराब कर रहे हैं। परमेश्वर के वचन केवल आत्मा और जीवन ही नहीं हैं वे मूर्खों को भी ज्ञानी बनाने वाले ज्ञान के हथियार हैं। आत्मा के लिए बल हैं। वह आपको सही रास्ते पर लेकर चलते हैं।

ध्यान के लिए, “परमेश्वर में पूरी बुद्धि और पराक्रम पाए जाते हैं ;युक्ति और समझ उसी में है। “(अय्यूब 12 :13)।

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