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जून 20 – हाकिम के सामने!

“जब तू किसी हाकिम के संग भोजन करने को बैठे,तब इस बात को मन लगाकर सोचना कि मेरे सामने कौन है?”(नीति वचन 23:1)

सुलेमान राजा बुद्धिमानी से राज्य करने वाला एक बड़ा राजा था। हाकिमों की चालाकियों को और वह दूसरों को कैसे फंदे में फंसाते हैं उनको वह जानता था। इसलिए वह लिखता है,”उसकी स्वादिष्ट भोजनवस्तुओं की लालसा न करना क्योंकि वह धोखे का भोजन है।”(नीति वचन 23 :3)

आजकल बड़े अमीर लोग शासकीय अधिकारियों को शराब, शबाब और पैसा जैसी चीजों से उनको वश में कर लेते हैं। उसी तरह आपको भी कई लोग मदहोश करने के लिए आ सकते हैं। आपके सामने काफी रुचिकर चीजें (पैसा ,नाम ,प्रसिद्धि ) रखते समय वे किन कारणों से दी जा रही हैं उन्हें जान लें और शैतान की चालों को समझ लें। फंदे में ना फंस जाएं।

चूहे को पकड़ने के लिए चूहे के पिंजरे में रुचिकर चीजें रखकर उसे लालच दिया जाता है। उन पदार्थों के सुगंध से और स्वाद से आकर्षित चूहा उसमें फंस जाता है। इसी प्रकार उन दिनों में दुनिया की इच्छाओं  और कामनाओं को दिखाकर इस्राएलियों के न्यायी सिमशोन को शैतान ने पकड़ कर पिंजड़े के भीतर बंद कर दिया। कितने तरस खाने वाली बात है!

यीशु मसीह ने एक और हाकिम के बारे में बोलकर चिताया। वही इस संसार का हाकिम है।( यूहन्ना 14 :30)। यीशु ने उपवास खत्म करने के बाद जब उन्हें भूख लगी यही संसार का हाकिम उनके सामने भोजन को लाया। वह कौन सा भोजन था केवल पत्थर के टुकड़े। “यदि तू परमेश्वर का पुत्र है तो कह दे, कि ये पत्थर रोटियाँ बन जाएँ।” ( मत्ती 4:3)। किंतु प्रभु ने, दूर हट जा शैतान कहके उसे भगाया। परीक्षाओं के लिए उन्होंने कोई जगह नहीं दी।

पवित्र शास्त्र कहता है,” उसकी स्वादिष्ट भोजन वस्तुओं की लालसा मत करना क्योंकि वह धोखे का भोजन है।”( नीति वचन 23:3) “धोखे का भोजन” पाप को दर्शाता है। सांसारिक इच्छा, अभिलाषाओं को दर्शाता है। सांसारिक लोग अपनी आंखों से भोजन कर रहे हैं। सिनेमा, व्यभिचार आदि बातों को भोजन के रूप में लेकर शैतान के अधीन जी रहे हैं।

यीशु मसीह भी एक भोजन को दे रहे हैं। वह हमारे अंदर अनंत जीवन को लेकर आता है। यीशु ने कहा,”जीवन की रोटी जो स्वर्ग से उतरी, मैं हूँ। यदि कोई इस रोटी में से खाए, तो सर्वदा जीवित रहेगा;।”(यूहन्ना 6: 51) परमेश्वर के वचन हमारे लिए रोटी और आत्मिक मन्ना के रूप में रहते हैं।

परमेश्वर के प्यारे बच्चों, आप परमेश्वर के वचनों को भोजन की तरह उत्साह से खाते हैं क्या?

ध्यान के लिए, “जब तेरे वचन मेरे पास पहुँचे, तब मैं ने उन्हें मानो खा लिया, और तेरे वचन मेरे मन के हर्ष और आनन्द का कारण हुए; क्योंकि, हे सेनाओं के परमेश्वर यहोवा, मैं तेरा कहलाता हूँ।( यिर्मयाह15:16)।

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