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जून 12 – घनिष्ठता !

“तब यहोवा परमेश्वर ने आदम को लेकर अदन की वाटिका में रखा …। (उत्पत्ति 2: 15)

हमारे परमेश्वर केवल प्रेम करने वाले ही नहीं हैं वरन् वह प्रेम लिए तरसते भी हैं। जब मनुष्य की सृष्टि की तब उसके ऊपर पूर्ण प्रेम को उंडेलकर उसके साथ घनिष्ठ सहभागिता की । एक साधारण सृष्टि से अपने सृष्टिकर्ता का सहभागिता रखना कितना विशेष है!

तब यहोवा परमेश्वर ने मनुष्य को लेकरअदन की वाटिका में रखा, ऐसा पवित्र शास्त्र कहता है। यदि ऐसा है तो फिर आदम को अदन की बारी के बाहर सृजा होगा। तभी यह बात कि मनुष्य को लेकर अदन की वाटिका में रखा, सही साबित होगी।

अर्थात पहले पृथ्वी, फिर पृथ्वी पर एक अदन और अदन में एक बारी इसे हम परमेश्वर के तंबू के रूप में देख सकते हैं। पृथ्वी को बाहरी आंगन ,अदन को पवित्र स्थान और उस बारी को महापवित्र स्थान के रूप में हम देख सकते हैं। परमेश्वर अपनी महिमा से जिस स्थान को भर देते हैं वह महा पवित्र स्थान है। उसे वह अपनी ‘सेकिना’ महिमा से ढांपे हुए थे।

“अदन” इस शब्द को ध्यान से देखें, तमिल भाषा में इस शब्द के अंत में तेन अर्थात शहद की अनुभूति होती है। अदन में शहद से भी परिष्कृत शहद से भी मधुर परमेश्वर की उपस्थिति वहां थी। प्रतिदिन दिन के ठंडे समय में परमेश्वर वहां प्रेम से टहलते हुए जो बात करते थे वे शहद की तरह आदम के कान में बहती होंगी। वह हमेशा परमेश्वर में आनंदित था।

अदन की बारी के समान ही परमेश्वर ने कलीसिया को रखा है। उस अदन की बारी के विभिन्न वृक्षों के समान कलीसिया में विश्वासियों को रखा है। जहां दो या दो से अधिक लोग मेरे नाम से एकत्रित होंगे वहां मैं रहूंगा, कहने वाले परमेश्वर जब कलीसिया एकत्रित होती है ,तब वह हमारे बीच में होते हैं। इसीलिए दाऊद कहता है यह कितनी मनोहर बात है कि भाई लोग आपस में मिलकर रहें।

सारे वृक्षों के फलों को खा कर शरीर में और आत्मा में बढ़ने के लिए परमेश्वर ने उन वृक्षों को दिया। उसी प्रकार कलीसिया में परमेश्वर के वचन और उपदेशों को दिया है। उनको ग्रहण करके आत्मा में मजबूत होना आपके लिए जरूरी है।

अदन की बारी के मध्य में जीवन का वृक्ष था।आज जीवन का वृक्ष यही प्रभु यीशु मसीह हैं। उनको अनंत जीवन के रूप में आपको दिया जाना ही जीवन का वृक्ष है। उनके वचन में जीवन है। वे सामर्थ्य के काम को करते हैं। परमेश्वर के प्रिय बच्चों प्रत्येक दिन यीशु के वचनों को ग्रहण करके जीवन में मजबूत बने रहें।

ध्यान करने के लिए,”मैं इसलिये आया कि वे जीवन पाएँ, और बहुतायत से पाएँ।”(यूहन्ना 10 :10).

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