No products in the cart.
जून 07 – यीशु का प्रेम!
“हम ने प्रेम इसी से जाना कि उसने हमारे लिये अपने प्राण दे दिए; और हमें भी भाइयों के लिये प्राण देना चाहिए। “(1यूहन्ना 3:16)
आपका पहला प्रेम और पूर्ण प्रेम परमेश्वर के लिए ही रहे। अपने प्रेमी उद्धार कर्ता को पूरे मन से, पूरे आत्मा से और पूरे बल से प्रेम करें।
प्रेम जो शब्द है कितना मधुर है। माता पिता बच्चों के प्रेम के लिए तरसते हैं। पति, पत्नी के और पत्नी पति के प्रेम के लिए तरसते हैं।
किंतु जब उनको प्रेम नहीं मिल पाता है तो वह निराश हो जाते हैं। ऐसे जीने से क्या फायदा है ऐसा सोचने लगते हैं। वह स्वार्थ हीन और पवित्र प्रेम हमारे ऊपर उण्डेलने वाले हमारे प्रभु परमेश्वर हैं। उनका स्वभाव ही प्रेम से भरा है। पवित्र शास्त्र कहता है, “परमेश्वर प्रेम है”(1 यूहन्ना 4:7)।
आपका प्रेम पहले परमेश्वर से शुरू होकर उसके बाद आपके परिवार में फैलना चाहिए। अपने परिवार से पूरे मन से प्रेम करें। पवित्र शास्त्र कहता है, “हे पतियो, अपनी अपनी पत्नी से प्रेम रखो, जो अपनी पत्नी से प्रेम रखता है, वह अपने आप से प्रेम रखता है।” (इफीसियों5:25,28 )
दूसरा वह प्रेम परिवार से होकर अपने भाइयों से भी प्रेम करने के लिए बहना चाहिये। पवित्र शास्त्र कहता है,”सब का आदर करो, भाइयों से प्रेम रखो”(1 पतरस 2:17)। आपके भाई और बहनों से स्नेह रखें। क्या उनको भी स्वर्ग में नहीं मिलना है? इतने पर ही न रुक कर यह जो दिव्य प्रेम है पड़ोसियों से भी प्रेम करने उनको भी मदद करने के लिए आपको उकसाता है। (मत्ती 19:19, 22,:39; मरकुस12:31; लूका10:27) आप जैसे स्वयं से प्रेम करते हैं वैसे ही औरों से भी आप प्रेम करें ,ऐसी आपने आज्ञा पाई है।
मसीह का प्रेम वहीं समाप्त नहीं होता। आपके शत्रुओं से भी प्रेम करने के लिए आपको कृपा दी। यीशु ने कहा,”परन्तु मैं तुम सुननेवालों से कहता हूँ कि अपने शत्रुओं से प्रेम रखो; जो तुम से बैर करें, उनका भला करो। जो तुम्हें स्राप दें, उनको आशीष दो; जो तुम्हारा अपमान करें, उनके लिये प्रार्थना करो”(लूका6:27,28)।
किसी भी परिस्थिति में , आप दूसरों से प्रेम कर सकते हैं। पवित्र आत्मा के द्वारा परमेश्वर का प्रेम आपके हृदय में उंण्डेला गया है। वह प्रेम जल के सोते की तरह उमड़ते हुए , आपको अपने परिवार से ,भाइयों से ,पड़ोसियों से और शत्रुओं से भी प्रेम करने के लिए उकसाता है।
परमेश्वर के प्यारे बच्चों प्रभु ने आपके लिए अपने जीवन को ही दे दिया । इसी से आपने उस प्रेम को जाना है। उस कलवरी के प्रेम के योग्य बनने के लिए अपने जीवन को क्या आप अर्पण करेंगे?
ध्यान करने के लिए, “क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह नष्ट न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।”(यूहन्ना 3:16)