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जून 17 – वह जो प्रिय पुत्र है।
“और देखो, यह आकाशवाणी हुई, कि यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिस से मैं अत्यन्त प्रसन्न हूं.” (मत्ती 3:17)
पृथ्वी पर कई आवाज़ें हैं. और इस आयत में, हम स्वर्ग से आवाज़ के बारे में पढ़ते हैं. यदि वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश के अनुसार उनके कर्मचारी आज्ञा का पालन नहीं करते हैं और अच्छा आचरण नहीं करते हैं, तो उनके खिलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाती है. कभी-कभी, वे अपनी नौकरी भी खो देते हैं. कानून तोड़ने वाले अपराधियों को गिरफ्तार किया जाता है और जेल में डाल दिया जाता है. जब सांसारिक आवाज़ों के साथ ऐसा होता है, तो यह बहुत महत्वपूर्ण है कि सभी को स्वर्ग से प्रभु की आवाज़ का पालन करना चाहिए.
भले ही यीशु मसीह परमेश्वर का पुत्र था, उसने बपतिस्मा लेने के लिए परमेश्वर की आज्ञा का पालन करके खुद को विनम्र किया. “उस समय यीशु गलील से यरदन के किनारे पर यूहन्ना के पास उस से बपतिस्मा लेने आया.” (मत्ती 3:13).
अब तक यूहन्ना केवल पश्चाताप और पापों की क्षमा के लिए बपतिस्मा दे रहा था. लेकिन फिर पापरहित और पवित्र मसीहा उसके पास आता है; उसे बपतिस्मा देने के लिए कहता है; और कहता है, “यीशु ने उस को यह उत्तर दिया, कि अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धामिर्कता को पूरा करना उचित है, तब उस ने उस की बात मान ली.” (मत्ती 3:15).
यदि यीशु मसीह, परमेश्वर के पुत्र होने के नाते, स्वर्ग के नियमों और परमेश्वर की आवाज़ के आज्ञाकारिता में बपतिस्मा प्राप्त करते हैं, तो हममें से प्रत्येक के लिए बपतिस्मा लेना कितना महत्वपूर्ण है?! “जो विश्वास करे और बपतिस्मा ले उसी का उद्धार होगा, परन्तु जो विश्वास न करेगा वह दोषी ठहराया जाएगा.” (मरकुस 16:16)
विश्वास होने से पहले बपतिस्मा को स्वर्ग कभी भी स्वीकार नहीं करता है. यह प्रभु की नज़र में अमान्य सिक्का या मुद्रा है. शायद कुछ मण्डली इसे पहचान लें. लेकिन स्वर्ग इसे कभी स्वीकार नहीं करता है. इसलिए, यीशु चेतावनी देते हैं कि अविश्वासी को दोषी ठहराया जाएगा.
यीशु के बपतिस्मा को पूरा स्वर्ग देख रहा था. “क्योंकि तुम इसी के लिए बुलाए गए हो, क्योंकि मसीह ने हमें एक आदर्श दिया है, कि तुम उसके पदचिन्हों पर चलो” (1 पतरस 2:21). “जब उसका बपतिस्मा हुआ, तो यीशु तुरन्त पानी से ऊपर आया; और देखो, उसके लिए आकाश खुल गया, और उसने परमेश्वर के आत्मा को कबूतर की तरह उतरते और अपने ऊपर उतरते देखा” (मत्ती 3:16)
तभी प्रभु ने पहली बार स्वर्ग से पिता की आवाज़ सुनी, “यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिससे मैं बहुत प्रसन्न हूँ” (मत्ती 3:17). न केवल उसने, बल्कि यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले और यरदन नदी के तट पर खड़े सभी लोगों ने भी इसे सुना. क्या आप ऐसी गवाही नहीं सुनना चाहते?
परमेश्वर के प्रिय लोगो, जब आप बपतिस्मा लेते हो, तो आप परमेश्वर के संतान कहलाने की उच्च स्थिति में आ जाते हो. प्रभु हमारे पिता होंगे और हम उनके संतान बन जाते है.
मनन के लिए: “देखो पिता ने हम से कैसा प्रेम किया है, कि हम परमेश्वर की सन्तान कहलाएं, और हम हैं भी: इस कारण संसार हमें नहीं जानता, क्योंकि उस ने उसे भी नहीं जाना.” (1 यूहन्ना 3:1)