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जून 05 – मुसीबत में शान्ति

 “तुम्हारा मन व्याकुल न हो, तुम परमेश्वर पर विश्वास रखते हो मुझ पर भी विश्वास रखो।” (यूहन्ना 14:1)।

इस दुनिया में कोई भी आंसुओं और परेशानी में नहीं रहना चाहता। मुसीबत मूल रूप से शैतान की परीक्षा है। कुछ लोग, जब वे परेशान होते हैं, अपने कार्यों के प्रभाव से अवगत नहीं होते हैं और बड़ी भूल करते हैं। कुछ लोग हमेशा परेशान और तनाव में रहते हैं।

एक दुखद समाचार सुनकर बहुत से लोग अपने दिल में परेशान हो जाते हैं। कुछ लोग तब परेशान होते हैं जब उन्हें कठोर शब्दों का सामना करना पड़ता है। कुछ अपने क्रोध के कारण तनावग्रस्त और परेशान हो जाते हैं।

परमेश्वर के लोगो के रूप में, हमको अपने दिल में कभी परेशान नहीं होना चाहिए। अपनी विपत्तियों और क्लेशों के बीच में, परमेश्वर की उपस्थिति मे बने रहना चाहिए। मनुष्यों से सहायता की खोज न करे, परन्तु प्रभु के चरणों में बैठे। पवित्रशास्त्र में, ऐसे बहुत से उदाहरण हैं कि कैसे परमेश्वर के लोगों को उनकी मुसीबतों से छूटकरा दिया, जब उन्होंने प्रभु को खोजा।

एक बार जब यीशु और उसके चेले नाव से यात्रा कर रहे थे, तो एक बड़ी आँधी उठी और लहरें नाव से टकराने लगी और यहाँ तक कि नाव पानी से भरने  लगी। चेले अपने मन में बहुत भयभीत और व्याकुल थे। लेकिन यीशु नाव के पिछले भाग मे तकिये पर सो रहा था। और चेलों ने उसे जगाया, और उससे कहा: “हे गुरू, क्या तुझे चिन्ता नहीं, कि हम नाश हुए जाते हैं?” (मरकुस 4:38)।

“तब उस ने उठकर आन्धी को डांटा, और पानी से कहा; “शान्त रह, थम जा”: और आन्धी थम गई और बड़ा चैन हो गया। और उन से कहा; तुम क्यों डरते हो? क्या तुम्हें अब तक विश्वास नहीं?” (मरकुस 4:39-40)

हम पवित्रशास्त्र में हन्ना के बारे में भी पढ़ते हैं जिसने परमेश्वर की उपस्थिति में अपने हृदय की पीड़ा को उंडेला। और मरियम के विषय में, जो अच्छे भाग को चुनकर यहोवा के चरणों में बैठ गई। आप भी यहोवा के पास आइये। चूँकि यहोवा हमेशा आपके साथ है, वह निश्चित रूप से आपके लिए एक चमत्कार करेगा और आपको आपके सारी परेशानी से बचाएगा।

पवित्रशास्त्र कहता है: “इसलिये प्रभु यहोवा यों कहता है, देखो, मैं ने सिय्योन में नेव का पत्थर रखा है, एक परखा हुआ पत्थर, कोने का अनमोल और अति दृढ़ नेव के योग्य पत्थर: और जो कोई विश्वास रखे वह उतावली न करेगा।” (यशायाह 28:16)। इस पद के अनुसार, यदि आप किसी भी परिस्थिति में जल्दबाजी में कार्य करते हैं, तो इसका मतलब केवल इतना है कि आपके पास पर्याप्त विश्वास नहीं है।

परमेश्वर के प्रिय लोगो, परमेश्वर पर विश्वास रखें और वह आपकी सभी परेशानियों को दूर कर देगा और आपको शांति प्रदान करेगा।

मनन के लिए: “तब परमेश्वर की शान्ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षत रखेगी॥” (फिलिप्पियों 4:7)

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