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अप्रैल 02 – गतसमनी का लहू।
“और वह अत्यन्त संकट में व्याकुल होकर और भी ह्रृदय वेदना से प्रार्थना करने लगा; और उसका पसीना मानो लोहू की बड़ी बड़ी बून्दों की नाईं भूमि पर गिर रहा था.” (लूका 22:44).
कलवारी में क्रूस पर अपना लहू बहाने से पहले, प्रभु यीशु ने अपना लहू सबसे पहले गतसमनी के बगीचे में बहाया था. जहा पर यीशु मसीह दुख से भरा हुआ, और उसका ह्रदय व्याकुल था.
प्रथना के दौरान ही प्रभु यीशु ने गतसमनी के बगीचे में मानवजाति के लिए स्वेच्छा से अपना लहू बहाया था. हम वचन मे उनकी आत्मा की पीड़ा और टूटे हुए दिल से निकली उनकी प्रार्थनाओं को देख सकते हैं. पवित्रशास्त्र कहता है कि वह बड़ी पीड़ा में था और उसका पसीना लहू की बड़ी-बड़ी बूंदों के समान भूमि पर गिर पड़ा.
पवित्रशास्त्र में ऐसे कई वचन हैं जो कहते हैं कि उसने प्रार्थना और विनती की, (इब्रानियों 5:7), उसका पसीना खून की बड़ी बूंदों की तरह जमीन पर गिर गया (लूका 22:44), वह अपना प्राण मृत्यु के लिये उण्डेल दिया (यशायाह 53:12). और सबसे बढ़कर, उसने अपना बहुमूल्य, निष्कलंक लहू बहाया (लूका 22:44).
यदि यीशु का बहुमूल्य लहू आपके हृदय में गिरता है, तो यह सभी बाधाओं और अंधकार की सभी शक्तियों को नष्ट कर देगा जो आपको प्रार्थना करने से रोकते हैं. यह आपको प्रार्थना की भावना, मध्यस्थता की भावना से भर देगा, और आपको एक प्रार्थना-योद्धा में बदल देगा.
इंसान के खून में एक बहुत बड़ा रहस्य है, जो किसी जानवर के खून से बिल्कुल अलग है. शास्त्र कहता है कि शरीर का जीवन उसके रक्त में है. मनुष्य के लहू में जीवन है. इसमें एक आवाज, स्वर और भाषा भी है. और वह आवाज धरती से लेकर स्वर्ग तक पहुंच सकती है.
हाबिल इस संसार में अपना लहू बहाने वाला पहला व्यक्ति है; क्योंकि उसके ही भाई ने उसकी बेरहमी से हत्या कर दी थी. और कैन ने उस लहू को ढकने के बारे में सोचा.
परन्तु यहोवा ने हाबिल की आवाज सुनी और पृथ्वी पर उतर आया. और उसने कैन से कहा, “तूने यह क्या किया है? तेरे भाई के लोहू का शब्द भूमि में से मेरी दोहाई देता है” (उत्पत्ति 4:10).
परमेश्वर के प्रिय लोगो, हमे भी हमारे प्रभु यीशु मसीह के लोहू के द्वारा प्रार्थना की आत्मा, याचना की आत्मा, और मध्यस्थता की आत्मा के लिये उत्सुकता से लालसा करे और प्रथना मे लगे रहे, क्योकि यीधु के लहू मे शामर्थ है.
मनन के लिए पद: “फिर चेलों के पास आकर उन्हें सोते पाया, और पतरस से कहा; क्या तुम मेरे साथ एक घड़ी भी न जाग सके?” (मती 26:40).