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जून 10 – चिन्ह !
“वे चिह्नों, और नियत समयों और दिनों, और वर्षों के कारण हों;”(उत्पत्ति 1:14)
चिन्ह आवश्यक हैं। कालों को ,दिनों को और वर्षों को बताने के लिए चिन्ह आवश्यक हैं। इसलिए परमेश्वर ने छोटी और बड़ी ज्योतियों के रूप में सितारों को चंद्रमा को और सूर्य की सृष्टि की। नूह को परमेश्वर ने आकाश में इंद्रधनुष को चिन्ह के रूप में दिखाकर ,अब से जल प्रलय के द्वारा पृथ्वी को नाश नहीं करेंगे, ऐसी प्रतिज्ञा की। मूसा की लाठी को सर्प में बदलकर फिरौन के सामने उसे चिन्ह के रूप में दिखाया। इस्राएलियों की सुरक्षा के लिए फसह के मेम्ने के लहू को चिन्ह बनाया।
रहाब वेश्या ने अपनी खिड़की में लाल सूत को बांधकर उसे चिन्ह बनाकर अपने परिवार को नाश होने से बचाया। इम्मानुएल के चिन्ह के रूप में एक कुंवारी गर्भवती होगी ऐसा परमेश्वर ने पहले ही बता दिया। हिजकिय्याह राजा के वर्षों को बढ़ाने के लिए सूर्य घड़ी को 10 अंश पीछे करके, चिन्ह ठहराया।
सूर्य ,चंद्रमा और नक्षत्रों को किस कारण से उन्होंने चिन्ह ठहराया ? जी हां, उनके आगमन की तैयारी के लिए चिन्ह ठहराया। एक दिन पूर्ण होने का चिन्ह ,पृथ्वी का अपनी धुरी पर एक बार पूरा घूमना है। एक वर्ष पूर्ण होने का मतलब है, पृथ्वी का अपने आप में घूमना ही नहीं सूर्य का भी एक बार उसने चक्कर लगा लिया है, इसका अर्थ है। इन्हीं के द्वारा आप दिनों को बताते हैं , सप्ताह का निर्णय करते हैं और वर्षों की गणना करते हैं। वे आपके लिए चिन्ह के रूप में बने रहते हैं।
अभी समय का पहिया घूम चुका है और अंतिम समय में हम आ चुके हैं। मसीह के आगमन संबंधी सारे चिन्ह पूर्ण होते जा रहे हैं। सारी भविष्यवाणियां हां और आमीन में समाप्त होने वाली हैं। जहां भी मुड़ कर देखें प्रभु के आगमन से संबंधी बातें इतिहास के तथ्य प्रमाणित कर रहे हैं। कुछ समय के बाद ईसा पूर्व और ईसा पश्चात की तरह ही प्रभु यीशु के आगमन के बाद , आगमन के पहले और आगमन के बाद करके बांटा जाएगा।
एक बार यीशु जब जैतून के पहाड़ पर बैठे थे तो उनके शिष्य उनके पास आकर आपके आगमन संबंधी और इस दुनिया के अंत से संबंधित चिन्ह क्या हैं ?,हमें बताएं ऐसा पूछा। यीशु ने कई चिन्हों का विवरण उन्हें दिया। उनमें से एक यह है “सूरज, और चाँद, और तारों में चिह्न दिखाई देंगे; और पृथ्वी पर देश-देश के लोगों को संकट होगा, क्योंकि वे समुद्र के गरजने और लहरों के कोलाहल से घबरा जाएँगे। भय के कारण और संसार पर आनेवाली घटनाओं की बाट देखते-देखते लोगों के जी में जी न रहेगा, क्योंकि आकाश की शक्तियाँ हिलाई जाएँगी।”(लूका21:25,26)
परमेश्वर के प्यारे बच्चों , प्रभु का आगमन निकट है इसलिए आप विशेष भक्ति के साथ उनके आगमन के लिए तैयार रहें।
ध्यान करने केलिए, “तुम आकाश के लक्षण देखकर उसका भेद बता सकते हो, पर समयों के चिह्नों का भेद क्यों नहीं बता सकते?”(मत्ती 16:3)।