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जनवरी 17 – आश्चर्य
“मैंबहुतोंकेलियेचमत्कारबनाहूं; परन्तुतूमेरादृढ़शरणस्थानहै। ” (भजन71:7)
जबकोईव्यक्तिमसीहकोस्वीकारकरताहै, तोउसेप्रभुकीमहिमामयआशीषेंविरासतमेंमिलतीहैं।लेकिनकईबारसमाजद्वाराउनकाउपहासउड़ायाजाताहैऔरकईसवालपूछेजातेहैंकिउन्होंनेएकनयातरीकाक्योंअपनायाहै? वहपुरानेदेवताओंकोक्योंभूलगयाहै? वहहमारीपरंपराकेअनुसारअनुष्ठानऔरमूर्तिपूजामेंभागक्योंनहींलेरहाहै? कईबारतोउन्हेंउनकेहीपरिवारद्वाराभीप्रताड़ितकियाजाताहै।
निकोलसकोपरनिकस – एकमहानवैज्ञानिकजिन्होंनेब्रह्मांडकाएकमॉडलखोजाऔरतैयारकियाजिसनेपृथ्वीकेबजायसूर्यकोअपनेकेंद्रमेंरखा।लेकिनउसदिनकीपीढ़ीनेउसखोजकोस्वीकारनहींकिया।चूँकियहउनकेधार्मिकविश्वासोंसेमेलनहींखाताथा, इसलिएउसेसतायाभीगयाऔरजिंदाजलादियागया।कितनादयनीय!
जबआपसच्चाईकोजानलेतेहैंऔरस्वीकारकरलेतेहैं, तोयहकईलोगोंकेलिएठोकरबनजातीहै।राजादाऊदकहताहै: “मैंबहुतोंकेलियेचमत्कारबनाहूं; परन्तुतूमेरादृढ़शरणस्थानहै। ” (भजन71:7)।जबप्रारंभिकचर्चकेविश्वासियोंनेमसीहकोस्वीकारकिया, तोउससमयकेधार्मिकनेताओं – फरीसियों, सदूकियोंऔरशास्त्रियोंकाभारीविरोधहुआ।प्रारंभिकविश्वासियोंकोसमुदायसेबहिष्कृतकरदियागयाथाऔरउन्हेंकईकोड़ोंसेसतायागयाथा।
आजभीहमकईगांवोंमेंऐसेलोगोंकोइसतरहकेकष्टोंसेगुजरतेहुएपातेहैं।जोलोगमसीहकोस्वीकारकरतेहैंऔरउसपरविश्वासकरतेहैं, उनपरबहुतसीबाधाएंऔरबाधाएंडालीजातीहैं।उन्हेंसामान्यकुएँसेपानीखींचने, याखेतोंमेंकामकरनेसेरोकदियाजाताहैऔरकईप्रतिबंधलगादिएजातेहैंजोउनकीआजीविकापरप्रहारकरतेहैं।ऐसेउदाहरणहैंजहांसरकारीसब्सिडीभीबंदकरदीगईहै।
हमारेप्रभुयीशुनेकहा: “धन्यहोतुम, जबमनुष्यमेरेकारणतुम्हारीनिन्दाकरें, औरसताएंऔरझूठबोलबोलकरतुम्हरोविरोधमेंसबप्रकारकीबुरीबातकहें।आनन्दितऔरमगनहोनाक्योंकितुम्हारेलियेस्वर्गमेंबड़ाफलहैइसलियेकिउन्होंनेउनभविष्यद्वक्ताओंकोजोतुमसेपहिलेथेइसीरीतिसेसतायाथा॥” (मत्ती5:11,12)।
पवित्रशास्त्रमेंहमऐसेबहुतसेविश्वासियोंकेबारेमेंपढ़तेहैंजोअपनीनईसृष्टिकीउत्कृष्टताकोसमझतेथे, वेउनपीड़ाओंऔरक्लेशोंसेबेखबरथेजिनकाउन्हेंसामनाकरनापड़ाथा।चूंकिवेनईरचनाएंथीं, इसलिएवेइसदुनियाकेसाथतालमेलबिठानेकेइच्छुकनहींथे।यहाँतककिउन्हेंसच्चाईकीघोषणाकरनेकेलिए, ईमानदारीसेअपनेप्राणोंकीआहुतिदेनीपड़ी।
परमेस्वरकेलोगो, क्याआपभीऐसेकष्टोंऔरकष्टोंकेबीचजीरहेहैं? चिंतामतकरो, क्योंकिप्रभुस्वयंतुम्हारादृढ़आश्रयहै।
मननकेलिए: “क्योंकिमैंसमझताहूं, किइससमयकेदु:खऔरक्लेशउसमहिमाकेसाम्हने, जोहमपरप्रगटहोनेवालीहै, कुछभीनहींहैं।” (रोमियों8:18)