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सितंबर 01 – शांति आपके साथ रहे !
तब यहोवा ने उस से कहा, तुझे शान्ति मिले; मत डरो,तुम न मरोगे। तब गिदोन ने वहां यहोवा के लिथे एक वेदी बनाई, और उसका नाम यहोवा-शालोम रखा। (न्यायियों 6:23-24)।
हमारा प्यारा प्रभु शांति का लेखक है। उसे दिए गए कई नामों में से एक ‘शांति का राजकुमार’ है (यशायाह 9:6)। उसके माध्यम से हमें शांति मिलतों है। परमेस्वर की शांति, जो यीशु मे स्वर्ग से हमारी ओर उतरी है।
एक बार वहाँ दस कोढ़ी थे जो यीशु के पास आए, उन्होंने अपनी आवाज उठाई और उस से पुकार कर कहा, “यीशु, स्वामी हम पर दया करें”। उनकी हालत को देखकर, हमारे यीशु करुणा से भर गए। तुरंत उसने उन सभी दसों को दिव्य चंगाई देने का वादा किया, और कहा, “जाओ अपने आप को, याजकों को दिखाओ”। और जैसे-जैसे वे गए, उनको दिव्य उपचार मिल गया।
उन दस कोढ़ियों में से एक प्रभु को धन्यवाद और महिमा देने के लिए उनके पास लौटा। और यीशु ने उससे कहा, “उठ, और अपने मार्ग मे चला जा। तुम्हारे विश्वास ने तुमको अच्छा किया है।” हमारे यीशु ने न केवल हमको शारीरिक स्वास्थ्य और हमारी आत्मा को मुक्ति देने में सक्षम हैं बल्कि हमको पूर्ण शांति भी प्रदान करते हैं।
आज भी यीशु प्रेम से पुकार रहा है: “हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ, और मैं तुम्हें विश्राम दूंगा। (मत्ती 11:28)। क्या आप उसके निमंत्रण को स्वीकार नहीं करेंगे और उस पूर्ण शांति को प्राप्त नहीं करेंगे जो केवल वह ही प्रदान कर सकता है? क्योंकि जो विश्राम जो यहोवा प्रदान करता है वह ही परमेश्वर की शांति है। आज पूरी दुनिया उथल-पुथल और तनाव के दौर से गुजर रही है। यहोवा कहता है, “दुष्टों के लिये शान्ति नहीं।” (यशायाह 48:22)
एक बार, कुछ छात्रों ने एक साथी छात्र से पूछा, जो एक ईसाई था,कि वह कैसे शांतिपूर्ण हो सकता है, जबकि अन्य सभी कई जरूरतों और समस्याओं से पीड़ित हैं। इस पर उन्होंने उत्तर दिया, “हर दिन, सुबह-सुबह, मैं प्रभु यीशु मसीह के चरणों में बैठता हूं, जो शांति के राजकुमार हैं, और उनकी स्तुति और आराधना करता हु। मैं उस समय तक उसकी महिमा करता हूँ, जब तक ईश्वर की शांति, जिसे दुनिया न दे सकती है और न ही ले सकती है, मेरे दिल में राज करती है। इतना ही नहीं, जब भी मेरे सामने कोई समस्या आती है, तो मैं उसे उनके चरणों में छोड़ देता हूं, इस विश्वास के साथ कि वह इसका समाधान करेंगे। मैं आनन्द और शान्ति से भर गया हूँ, क्योंकि मैं अपने ऊपर बोझ नहीं उठाता।”
परमेस्वर की प्यारी संतान, क्या आप भी अपने जीवन में हर दिन शांति और आनंद पाने के लिए उसी अभ्यास का पालन करेंगे?
मनन की लिए: “… और परमेश्वर की शांति, जो समझ से परे है, मसीह यीशु के द्वारा तुम्हारे दिलों और दिमागों की रक्षा करेगी। (फिलिप्पियों 4:7)