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जुलाई 25 – दूसरों पर दोषारोपण!
“क्योंकि हमारा ज्ञान अधूरा है” (1 कुरिन्थियों 13:9)।
मनुष्य का ज्ञान पर्याप्त नहीं है। जब वह खुद ज्ञान में अपूर्ण है तो कोई दूसरों में दोष कैसे खोज सकता है? आज दूसरों पर दोषारोपण की आदत एक संक्रामक रोग की तरह तेजी से फैल रही है और आत्मिक दुनिया को पतित कर रही है। हर किसी के लिए यह जानना जरूरी हो गया है कि कोई किस हद तक दूसरों पर आरोप लगा सकता है, और इस बारे में पवित्रशास्त्र क्या कहता है।
यीशु मसीह ने कहा, “इसलिये यदि तू अपनी भेंट वेदी पर लाए, और वहां तू स्मरण करे, कि तेरे भाई के मन में तेरे लिये कुछ विरोध है, तो अपनी भेंट वहीं वेदी के साम्हने छोड़ दे, और जाकर पहले अपने भाई से मेल मिलाप कर, और तब आकर अपनी भेंट चढ़ा ” (मत्ती 5:23, 24)।
बचाये गये लोगों में, अभिषिक्तों में और परमेश्वर के सेवकों में दोष पाया जा सकता है। कारण यह है कि ये सभी लोग सिर्फ इंसान हैं। उनका लड़खड़ाना भी काफी स्वाभाविक है। जब आप परमेश्वर के सेवकों में दोष पाते हैं ,तो उनके लिए उपवास करें और प्रार्थना करें। यदि आप चाहते हैं कि उन्हें अपनी कमी का एहसास हो, तो उनसे व्यक्तिगत रूप से मिलें और जब वे अकेले हों तो उनसे बातचीत करें।
जब दाऊद ने पाप किया तो भविष्यवक्ता नातान ने यही किया। नातान भविष्यवक्ता के प्रयास ने दाऊद को अपने पाप को स्वीकार करने और परमेश्वर के पास लौटने का मार्ग प्रशस्त किया।क्या ऐसा नहीं है? कुछ लोगों के साथ खुले तौर पर चर्चा करने के बजाय, पुल्पिट से चिल्लाकर हमला करना और पत्रिकाओं के माध्यम से हमले करना कोई अच्छा प्रभाव नहीं डालेगा, बल्कि केवल शैतान को खुश करेगा। वह रात-दिन हमारे भाइयों पर दोष लगानेवाला है (प्रकाशितवाक्य 12:10)। क्याऐसा नहीं है?
आपका इस दुनिया में रहने का समय बहुत कम है। यह कितना अच्छा होगा, यदि उस छोटे कार्यकाल का उपयोग परमेश्वर की महिमा और महानता की स्तुति करने में किया जाए! यह कितना अच्छा होगा, यदि उस छोटे कार्यकाल का उपयोग आत्माओं की फसल बटोरने और उन्हें अधोलोक से छुड़ाने में किया जाए! यदि आप आज दूसरों पर दोषारोपण करते हुए अपना दिन बर्बाद करते हैं, तो आपको परमेश्वर द्वारा आपको दिए गए सुनहरे अवसरों को बर्बाद करने के लिए अनंत काल तक शोक करना होगा।
जो लोग दूसरों पर आरोप लगाते हैं, वे ऐसा केवल इसलिए करते हैं क्योंकि उन्हें परमेश्वर से प्रेम नहीं है और उन्हें आत्माओं के फसल की वास्तविक प्यास नहीं है। उनके ऐसा करने का एक और कारण उनके दिलों में जलती हुई ईर्ष्या है। यीशु मसीह ने कहा, “दोष मत लगाओ” (मत्ती 7:1)। परमेश्वर के प्यारे बच्चों, महसूस करें कि प्रत्येक मिनट आपका इस दुनिया में रहना,आपके लिए परमेश्वर का एक उपहार है अतः इसका सदुपयोग करें। एक बोझ के साथ प्रार्थना करने के लिए खुद को समर्पित करें। तब आप धन्य हो जायेंगे।
ध्यान करने के लिए: “ कुकर्मियों के कारण मत कुढ़, कुटिल काम करने वालों के विषय डाह न कर ।क्योंकि वे घास के समान झट कट जाएंगे और हरी घास के समान मुर्झा जाएंगे” (भजन संहिता 37:1,2)।