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जुलाई 17 – दानिय्येल की सच्चाई!
“… वह विश्वासयोग्य था; और उसके काम में कोई भूल या दोष न निकला और वे ऐसा कोई अपराध या दोष न पा सके ” (दानिय्येल 6:4)।
हमारे परमेश्वर विश्वास योग्य हैं। सभी संत जो उससे प्रेम करते हैं, वे भी विश्वासयोग्य पाए जाते हैं। हम कई सच्चे संतों के जीवन पर ध्यान कर रहे हैं। आइए आज हम दानिय्येल की विश्वासयोग्यता पर मनन करें।
एक दल दानिय्येल के इर्द-गिर्द दौड़ रहा था ताकि उसमें दोष ढूंढ़ सके। क्रूर लोग जलन की भावना से उसके विरुद्ध उठ खड़े हुए। वे सामान्य लोग नहीं थे। पवित्रशास्त्र कहता है, कि हाकिमों ने भी दानिय्येल पर कुछ आरोप लगाने की कोशिश की। परन्तु वे उसके विरुद्ध कोई अपराध या दोष नहीं पा सके (दानिय्येल 6:4)।
शैतान के नामों में से एक है ‘हमारे भाइयों पर दोष लगाने वाला’ (प्रकाशितवाक्य 12:10)। परन्तु दानिय्येल, परमेश्वर की दृष्टि में, मनुष्यों और राजा सबकी दृष्टि में विश्वासयोग्य था।
परमेश्वर की प्रतिज्ञा क्या है? यह और कुछ नहीं, केवल ‘ तू थोड़े में विश्वासयोग्य रहा, मैं तुझे बहुत वस्तुओं का अधिकारी बनाऊंगा’ (मत्ती 25:23)। जब दानिय्येल को बन्धुवाई में बेबीलोन लाया गया, तो परमेश्वर ने उसे विश्वासयोग्य पाया। परमेश्वर ने देखा कि वह अशुद्ध होने से बचने के लिए कितना हटधर्मी और विश्वासयोग्य था कि राजा के व्यंजनों का हिस्सा लेने से इनकार कर दिया। इस वजह से, परमेश्वर ने उसे बहुत सी चीजों पर अधिकारी बनाया। कई राजा आए और गायब हो गए। लेकिन दानिय्येल उन्नति पर उन्नति करता रहा और शीर्ष स्थान पर पहुंच गया।
परमेश्वर के प्रिय बच्चों, क्या आप दानिय्येल की तरह विश्वासयोग्य बनेंगे? “देख यहोवा की दृष्टि सारी पृय्वी पर इसलिए फिरती रहती है, कि जिनका मन उसकी ओर निष्कपट रहता है ,उनकी सहायता में वह अपनी सामर्थ्य दिखाए” (2 इतिहास 16:9)। यहाँ तक कि राजा को भी दानिय्येल की सच्चाई का एहसास हुआ। उसने दानिय्येल को “हे दानिय्येल जीवते परमेश्वर के दास ” कहकर पुकारा और पूछा, “क्या तेरा परमेश्वर, जिसकी तू नित्य उपासना करता है, तुझे सिंहों से बचा सका है?”
क्या आप जानते हैं दानिय्येल का जवाब क्या था? “हे राजा, तू युगयुग जीवित रहे! मेरे परमेश्वर ने अपना दूत भेजकर सिंहों के मुंह को ऐसा बन्द कर रखा कि उन्होंने मेरी कुछ भी हानि नहीं की, इसका कारण यह है, कि मैं उसके साम्हने निर्दोष पाया गया; और हे राजा, तेरे सम्मुख भी मैंने कोई भूल नहीं की” (दानिय्येल 6:21, 22)।
मसीही जीवन में ‘विश्वास योग्यता’ एक महत्वपूर्ण कारक है। दाऊद कहता है, ‘देख तू हृदय की सच्चाई से प्रसन्न होता है ‘ (भजन संहिता 51:6)। जब आप परमेश्वर और लोगों के प्रति विश्वासयोग्य रहेंगे तो परमेश्वर के नाम की महिमा होगी। आपका प्रयास सफल होगा।
ध्यान करने के लिए: “सच्चे मनुष्य पर बहुत आशीर्वाद होते रहते हैं, परंतु जो धनी होने में उतावली करता है वह निर्दोष नहीं ठहरता” (नीतिवचन 28:20)।