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जुलाई 16 – जो हमारे साथ है!

” मत डर क्योंकि मैं तेरे संग हूं; इधर-उधर मत तक क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर हूं, मैं तुझे दृढ़ करूंगा और तेरी सहायता करूंगा, अपने धर्ममय दाहिने हाथ से मैं तुझे सम्भाले रहूंगा” (यशायाह 41:10)।

परमेश्वर न केवल हमारे साथ रहते हैं बल्कि वह हम में भी रहते हैं। वह हमारे साथ चलते हैं और वह हमें कभी नहीं छोड़ते। उनका नाम “इम्मानुएल” है, जिसका अर्थ है “परमेश्वर हमारे साथ हैं।”

जितने लोग यह नहीं मानते कि परमेश्वर हमारे साथ हैं, वे सोचते हैं कि परमेश्वर कहीं दूर हैं। वे सोचते रहते हैं कि ‘वह हमारे साथ नहीं रहेंगे। वह केवल पवित्र स्वर्गदूतों के साथ रहते हैं। वह केवल करूबों और सारापों के साथ ही रहेंगे। वह केवल चार जीवित प्राणियों और स्वर्ग के चौबीस पुरनियों के साथ रहेंगे।’ इसलिए वे परमेश्वर की मधुर उपस्थिति को महसूस करने में असमर्थ हैं।

परमेश्वर वास्तव में स्वर्ग में रहते हैं। लेकिन वह एक प्यार करने वाले पिता के रूप में आपके पास आते हैं, जब आप उन्हें स्वीकार करते हैं और उन पर अपना विश्वास रखते हैं। जब आप गाते हैं और उसकी स्तुति करते हैं, तो वह जो स्तुति में वास करते हैं, वह आपके बीच में रहने के लिए उतरते हैं।

पवित्रशास्त्र में पाई गई परमेश्वर की सभी प्रतिज्ञाओं में प्रमुख प्रतिज्ञा “मैं तुम्हारे साथ हूँ” है। हम पवित्रशास्त्र में, प्रत्येक पवित्र जन  को परमेश्वर द्वारा यह वचन देते हुए देख सकते हैं। यही कारण है कि वे बिना किसी हिचकिचाहट या भय के आगे बढ़ने में सक्षम हुए और परमेश्वर के लिए महान और अद्भुत कार्य कर सके।

यहोशू कैसे निडरता से आगे बढ़ सका और कनान का वारिस हुआ? यह केवल परमेश्वर के इस वादे के कारण हुआ, “… जैसे मैं मूसा के संग रहा, वैसे ही तेरे संग भी रहूंगा; और न तो मैं तुझे धोखा दूंगा और न तुझको छोडूंगा ” (यहोशू 1:5)।

क्या कारण था कि उन शिष्यों ने जिन्होंने एक समय में यीशु को अस्वीकार किया, उसे शाप दिया और उसके खिलाफ शपथ खाई ,बाद में बदल गये और यरूशलेम में शक्तिशाली रूप से महान कार्यों को किया? उनके लिए हजारों की संख्या में आत्माओं की फसल काटना कैसे संभव हुआ ? केवल परमेश्वर की प्रतिज्ञा ही, कारण है। जब से परमेश्वर ने कहा, “… देखो, मैं जगत के अन्त तक सदा तुम्हारे संग हूं” (मत्ती 28:20) वे मजबूत हुए और परमेश्वर के कार्य को शक्तिशाली रूप से किया।

परमेश्वर के प्रिय बच्चों, आज परमेश्वर प्रतिज्ञा करते हुए यह कहते हैं, “मत डर, क्योंकि मैं तेरे संग हूं; इधर-उधर मत ताक क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर हूं “। जब सर्वशक्तिमान परमेश्वर आपके साथ हैं, तो आपको क्यों डरना चाहिए या शोकित होना चाहिए?

ध्यान करने के लिए: “चाहे मैं घोर अंधकार से भरी हुई तराई से होकर चलूं, तौभी हानि से न डरूंगा; क्योंकि तू मेरे साथ रहता है ; तेरे सोंटे और लाठी से मुझे शान्ति मिलती है ” (भजन संहिता 23:4)।

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