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जुलाई 14 – गांवों में!

“हे मेरे प्रेमी,आ, हम खेतों में निकल जाएं और गावों में रहें” (श्रेष्ठगीत 7:11)।

राष्ट्र का जीवन उसके गांवों के जीवन पर निर्भर करता है। गांवों की पुनर्जागृति राष्ट्र की पुनर्जागृति है। क्या गाँव के लोगों को भी परमेश्वर के आगमन के लिए तैयार करना हमारा दायित्व नहीं है?

मेरे पिता की सेवकाई के शुरूआती दिनों में उनका ध्यान गाँवों पर अधिक था। वह सुबह से शाम तक कई गांवों का दौरा करते थे, वहां गाकर, सुसमाचार का प्रचार कर, लोगों का परमेश्वर की ओर मार्गदर्शन करते थे। ऐसे कई मौके आए जब, उनके पास रात में सड़कों और गलियों में रहने के अलावा और कोई चारा नहीं था। लेकिन, गांवों में रहते समय उन्हें ऐसा महसूस होता था  कि वह यीशु मसीह के साथ रह रहे हैं।

देखें कि शूलेम्मिन अपने प्रेमी को कैसे बुलाती है। पवित्रशास्त्र कहता है, “हे मेरे प्रेमी,आ ,हम खेतों में निकल जाएं;  और गावों में रहें” (श्रेष्ठगीत 7:11)। क्या आप भी उन्हें इसी तरह बुलाएंगे?

गांवों के लोग भोले-भाले होते हैं; वे अनजान लोगों को भी प्रेम और आतिथ्य दिखाते हैं; वे कम पढ़े लिखे लोग हैं; वे , जो आप उनसे कहते हैं उसे पूरी तरह से स्वीकार करते हैं। लेकिन, अब तक वे झूठी मान्यताओं और अंधेरे में जी रहे हैं। क्या यह आपकी जिम्मेदारी नहीं है कि, अपने दाएं और बाएं हाथ के बीच के अंतर को जाने बिना जीने वाले इन सभी लोगों को परमेश्वर की ओर लाएं?

यदि योना का एक उपदेश लाखों लोगों को पश्चाताप के लिए प्रेरित कर सकता है, तो लाखों ग्रामीण निश्चित रूप से आपका संदेश सुनकर मन फिरायेंगे।

एक बार श्रीलंका में युद्ध के दौरान लोग डरे हुए थे। अधिकांश गांवों में बिजली कनेक्शन तक नहीं था। सेना अचानक आती, और सभी युवकों को गिरफ्तार कर ले जाती। आंदोलनों के कुछ प्रतिनिधि, युवा लड़कों को जबरन अपने समर्थकों के रूप में युद्ध में लड़ने के लिए ले जाते थे। माता-पिता संघर्ष करते रहे क्योंकि वे अपने छोटे बच्चों की रक्षा के लिए असहाय थे।

उन्हें परमेश्वर के प्रेम, सहायता और शरण के विषय प्रचार करने के लिए पर्याप्त लोग नहीं थे। यातायात की सुविधा भी नहीं थी। कई मिशनरी जो उन गांवों में परमेश्वर का काम कर रहे थे, शहरों में चले गए। कुछ अन्य मिशनरी परमेश्वर का कार्य करने के लिए विदेशों में चले

गये। ज़रा सोचिए इन लोगों की हालत कितनी दयनीय रही होगी! इसलिए, प्रत्येक कलीसियाओं को ग्राम सेवकाई को महत्व देना चाहिए। प्रत्येक विश्वासी को गांवों का दौरा करना चाहिए, यीशु के साथ रहकर और वहां परमेश्वर का कार्य करना चाहिए। यीशु ने कहा, ‘राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा कि सब जातियों पर गवाही हो…’ (मत्ती 24:14)। क्या ऐसा नहीं है?

ध्यान करने के लिए: “जब तक मैं, दबोरा न उठी, जब तक मैं इस्राएल में माता होकर न उठी, तब तक गाँव सूने पड़े थे” (न्यायियों 5:7)।

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