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ਜਨਵਰੀ 13 – नया संकल्प

“दु:ख भोगते भोगते मेरी आंखे धुन्धला गई. हे यहोवा मैं लगातार तुझे पुकारता और अपने हाथ तेरी ओर फैलाता आया हूं. (भजन संहिता 88:9).

नए वर्ष में आपको नया संकल्प लेने चाहिए और ईश्वर की पूर्णता की ओर आगे बढ़ना चाहिए. यदि आप प्रतिदिन प्रभु के साथ चलते हैं, तो आपका जीवन सुख और आनंद से भरा होगा; जीवन आनंद से भरपूर. इस जीवन को उस आनंद, विजय और पवित्रता में सुरक्षित रखना अत्यंत आवश्यक है. उस उद्देश्य के लिए आपको किस प्रकार के संकल्प लेने हैं, इस पर आज हम मनन करेंगे.

सबसे पहले, आपको प्रतिदिन उनकी स्तुति करनी चाहिए. राजा दाऊद कहता है: “धन्य है प्रभु, जो प्रति दिन हमारा बोझ उठाता है; वही हमारा उद्धारकर्ता ईश्वर है.” (भजन संहिता 68:19). हर नया दिन परमेश्वर का एक अनुग्रहपूर्ण उपहार है. हर दिन जो हम सांस लेते हैं; और आपके दिल की हर धड़कन ईश्वर की ओर से एक उपहार है. उसकी दया हर भोर नई होती है (विलापगीत 3:22-23). इसलिए, उन सभी लाभों को कृतज्ञतापूर्वक याद करें जो आपने परमेश्वर के हाथ से प्राप्त किए हैं और उनकी स्तुति करें.

दूसरे, आपको प्रतिदिन परमेश्वर के वचन का अध्ययन करना चाहिए. पवित्रशास्त्र कहता है: “ये लोग तो थिस्सलुनीके के यहूदियोंसे भले थे और उन्होंने बड़ी लालसा से वचन ग्रहण किया, और प्रति दिन पवित्र शास्त्रों में ढूंढ़ते रहे कि ये बातें यों ही हैं, कि नहीं.” (प्रेरितों के काम 17:11). अगर आप एक दिन में बाइबल के सिर्फ पाँच अध्यायों का अध्ययन करते हैं, तो भी आप एक साल से भी कम समय में पूरी बाइबल पढ़ सकते हैं.

बाइबल की आयतों पर भी मनन कीजिए. यहोवा ने यहोशू से कहा: “व्यवस्था की यह पुस्तक तेरे चित्त से कभी न उतरने पाए, इसी में दिन रात ध्यान दिए रहना, इसलिये कि जो कुछ उस में लिखा है उसके अनुसार करने की तू चौकसी करे; क्योंकि ऐसा ही करने से तेरे सब काम सफल होंगे, और तू प्रभावशाली होगा. ” (यहोशू 1:8).

तीसरा, आपको प्रतिदिन प्रार्थना करनी चाहिए. “दु:ख भोगते भोगते मेरी आंखे धुन्धला गई. हे यहोवा मैं लगातार तुझे पुकारता और अपने हाथ तेरी ओर फैलाता आया हूं.” (भजन संहिता 88:9). यदि आप प्रतिदिन प्रार्थना करते हैं, तो आपका आंतरिक मनुष्यत्व मजबूत होगा; और आप में आत्मिक शामर्थ की वृद्धि होगी. सफलता का रहस्य हमेशा प्रार्थना करना है (इफिसियों 6:18). पवित्रशास्त्र हमें “निरन्तर प्रार्थना करते रहने” के लिए उत्साहित करता है (1 थिस्सलुनीकियों 5:17). आप जिस भी संघर्ष या उलझनों से गुजर रहे हैं, “किसी भी बात की चिन्ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं.” (फिलिप्पियों 4:6).

चौथा, आपको प्रभु की उपस्थिति में प्रतीक्षा करनी चाहिए. पवित्रशास्त्र कहता है: “क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो मेरी सुनता, वरन मेरी डेवढ़ी पर प्रति दिन खड़ा रहता, और मेरे द्वारों के खंभों के पास दृष्टि लगाए रहता है.” (नीतिवचन 8:34). जब आप प्रतिदिन यहोवा के चरणों में बाट जोहता रहेगा, तब आपका बल नया हो जाएगा.

मनन के लिए: “और मैं सर्वदा तेरे नाम का भजन गा गाकर अपनी मन्नतें हर दिन पूरी किया करूंगा॥” (भजन संहिता 61:8)

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