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जनवरी 30 – दुखों मे परिपुर्णता

“क्योंकि जिस के लिये सब कुछ है, और जिस के द्वारा सब कुछ है, उसे यही अच्छा लगा कि जब वह बहुत से पुत्रों को महिमा में पहुंचाए, तो उन के उद्धार के कर्ता को दुख उठाने के द्वारा सिद्ध करे।” (इब्रानियों 2:10)।

पवित्रशास्त्र हमें स्पष्ट रूप से सिखाता है कि केवल कई कष्टों के माध्यम से ही आप सिद्ध हो सकते हैं और परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं। परमेश्वर का प्रिय पुत्र हमारे निमित्त पृथ्वी पर आया। और यह पिता परमेश्वर के लिए, हमारे उद्धार के प्रभु यीशु को कई कष्टों के माध्यम से समुर्ण करने के लिए उपयुक्त पाया गया।

पवित्रशास्त्र हमें बताता है: “उस समय से यीशु अपने चेलों को बताने लगा, कि मुझे अवश्य है, कि यरूशलेम को जाऊं, और पुरनियों और महायाजकों और शास्त्रियों के हाथ से बहुत दुख उठाऊं; और मार डाला जाऊं; और तीसरे दिन जी उठूं।” (मत्ती 16 :21)।

पतरस बहादुर था और उन्हें मसीह के शिष्यों में प्रमुख माना जाता था। एक बार वह यीशु को एक तरफ ले गया और यह कहते हुए उसे डांटने लगा: “उस समय से यीशु अपने चेलों को बताने लगा, कि मुझे अवश्य है, कि यरूशलेम को जाऊं, और पुरनियों और महायाजकों और शास्त्रियों के हाथ से बहुत दुख उठाऊं; और मार डाला जाऊं; और तीसरे दिन जी उठूं। इस पर पतरस उसे अलग ले जाकर झिड़कने लगा कि हे प्रभु, परमेश्वर न करे; तुझ पर ऐसा कभी न होगा। उस ने फिरकर पतरस से कहा,  हे शैतान, मेरे साम्हने से दूर हो: तू मेरे लिये ठोकर का कारण है; क्योंकि तू परमेश्वर की बातें नहीं, पर मनुष्यों की बातों पर मन लगाता है।” (मती 16:21-23)।

मनुष्य आरामदायक जीवन के बारे में सोचता है। लेकिन प्रभु एक ऐसे जीवन के बारे में सोचते हैं जो अनेक कष्टों से सिद्ध होता है। जब मनुष्य जीवन में आगे बढ़ने के बारे में सोचता है, प्रभु इस संसार को सूली पर चढ़ाने के बारे में सोचते हैं। जबकि मनुष्य लोकप्रिय और प्रसिद्ध होने का इच्छुक है, प्रभु स्वयं को क्रूस पर उंडेलकर खाली करने के प्रति सचेत हैं। परमेस्वर  के लोगो, मसीह का मन आप में हो सकता है!

पवित्रशास्त्र हमें बताता है: “पर जितने मसीह यीशु में भक्ति के साथ जीवन बिताना चाहते हैं वे सब सताए जाएंगे।” (2 तीमुथियुस 3:12)। “क्योंकि मसीह के कारण तुम पर यह अनुग्रह हुआ कि न केवल उस पर विश्वास करो पर उसके लिये दुख भी उठाओ।” (फिलिप्पियों 1:29)। यीशु ने अपने शिष्यों को सुख और विलासिता का जीवन कभी नहीं सिखाया। शुरू से ही, उसने उन्हें केवल कष्ट सहने के लिए तैयार किया।

यीशु ने कहा: “मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि तुम्हें मुझ में शान्ति मिले; संसार में तुम्हें क्लेश होता है, परन्तु ढाढ़स बांधो, मैं ने संसार को जीत लिया है॥” (यूहन्ना 16:33)। परमेश्वर के लोगो, इस बात को हमेशा ध्यान में रखें कि मसीह जो विजयी होकर संसार में उभरा, वह हर उस दुख में आपके साथ है जिससे आप गुजर रहे हैं। किसी भी परीक्षण या पीड़ा को कभी भी परमेस्वर  के प्यार से दूर न होने दें। और आनंद के साथ समुर्णता की ओर बढ़ो!

मनन के लिए: “यह बात सच है, कि यदि हम उसके साथ मर गए हैं तो उसके साथ जीएंगे भी। यदि हम धीरज से सहते रहेंगे, तो उसके साथ राज्य भी करेंगे: यदि हम उसका इन्कार करेंगे तो वह भी हमारा इन्कार करेगा।” (2 तीमुथियुस 2:11-12)।

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