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अगस्त 07 – काम में पवित्रता!

“इसलिये तुम चाहे खाओ, चाहे पीओ, चाहे जो कुछ करो, सब कुछ परमेश्‍वर की महिमा के लिये करो।” (1 कुरिन्थियों 10:31)।

आप जो भी करें, उसे पवित्रता के साथ करने का प्रयास करते रहें। चूँकि यह हमारे प्यारे परमेश्वर हैं जिन्होंने आपको वह कार्य सौंपा है, अतः उसे सच्चाई और ईमानदारी से करें। पुराने नियम में, एक वचन है ,जो कहता है, “उस दिन घोड़ों की घंटियों पर भी यह लिखा रहेगा, “यहोवा के लिये पवित्र।” और यहोवा के भवन की हाण्डियाँ उन कटोरों के तुल्य पवित्र ठहरेंगी, जो वेदी के सामने रहते हैं।” (जकर्याह 14:20)।

इसमें कहा गया है कि ‘यहोवा के लिए पवित्र ‘ शब्द घोड़ों की घंटियों में उकेरा जाना चाहिए। आमतौर पर, घोड़ा लड़ाई में इस्तेमाल किया जाने वाला जानवर है। इसका उपयोग गाड़ियां खींचने और कृषि भूमि में भी किया जाता है। यह सब उन कार्यों को इंगित करता है जो आप अपने घर के बाहर करते हैं। ये वचन यह भी कहता है कि यरूशलेम के मन्दिरों के पात्र सेनाओं के यहोवा के लिये पवित्र हों। यह कृत्य दर्शाता है कि घर के बाहर ही पवित्रता पर्याप्त नहीं है और घर पर किए जाने वाले कार्यों में भी पवित्रता झलकनी चाहिए। आप जो भी कार्य करते हैं, चाहे वह संसार या प्रभु से संबंधित हो सकता है, लेकिन उसमें पवित्रता होनी चाहिए।

अपने घर के फर्श की सफाई करते हुए भी, अापका दिल बार-बार कहे, ‘प्रभु, मेरे हृदय को धोयें और इसे पवित्र बना दें।’ अपने बगीचे में पौधों की देखरेख करते हुए भी, प्रभु को ढूंढते हुए कहें ‘प्रभु, मुझे एक फल देने वाला पौधा बनाएं।’ हो सकता है आप डॉक्टर या इंजीनियर के पद पर हैं, या आप किसी व्यावसायिक उद्यम में शामिल हो सकते हैं। आपका काम चाहे कुछ भी हो, अपने सभी कर्मों में पवित्रता के माध्यम से दुनिया को यह दिखाई दे कि आप जीविते परमेश्वर की आराधना करते हैं।

हमारे देश में लाखों लोग बेरोजगारी के कारण गरीबी में हैं। लेकिन, परमेश्वर आपको सब कुछ कृपापूर्वक खिला रहे हैं। क्या आपके लिए यह आवश्यक नहीं है कि आप अपने कार्यस्थल पर उसके गवाह बने रहें?

इस दुनिया में रहते हुए भी, यीशु लगातार काम करते रहे। उन्होंने युवा होने तक बढ़ई के रूप में कड़ी मेहनत की। जब वे परमेश्वर का कार्य भी करने आए, तो उन्होंने बड़े उत्साह के साथ किया। “जिसने मुझे भेजा है, हमें उसके काम दिन ही दिन में करना अवश्य है; वह रात आनेवाली है जिसमें कोई काम नहीं कर सकता।” (यूहन्ना 9:4)। ये वे शब्द थे जो उनके हृदय को लगातार उद्वेलित करते रहे। यीशु मसीह ने थकान, भूख और प्यास का अनुभव किया, लेकिन इन सब बातों के बावजूद, उन्होंने दिन-रात प्रभु की सेवकाई को पूरा किया। परमेश्वर के प्यारे बच्चों, सब कुछ पवित्रता के साथ करने और उसी के अनुसार दिखाई देने का दृढ़ संकल्प लें।

ध्यान करने के लिए: “यदि तू ऐसा पुरुष देखे जो काम-काज में निपुण हो, तो वह राजाओं के सम्मुख खड़ा होगा; छोटे लोगों के सम्मुख नहीं। ” (नीतिवचन 22:29)।

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