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जुलाई 22 – विश्राम!

” उस ने उनसे कहा, तुम आप अलग किसी एकान्त स्थान में चल कर थोड़ा विश्राम करो” (मरकुस 6:31)।
यीशु मसीह को भी आराम और विश्राम की आवश्यकता थी। वास्तव में वह परमेश्वर के जन हैं और वास्तव में वही परमेश्वर द्वारा प्रतिज्ञा किये हुए मसीहा हैं। लेकिन फिर भी, पवित्रशास्त्र कहता है कि उन्होंने विश्राम किया। मानवजाति मसीहा के आगमन के लिए चार हजार वर्षों से तरस रही थी लेकिन मसीहा को पृथ्वी पर सेवकाई करने के लिए केवल साढ़े तीन वर्ष का समय मिला। उस छोटे से कार्यकाल में, पूरा करने के लिए उनके पास कई जिम्मेदारियां थीं। उन्हें लोगों को उपदेश देना था। उन्हें कस्बों और शहरों का दौरा करना था। उन्हें बीमारों से मिलना था।
यीशु मसीह ने कहा, “जिस ने मुझे भेजा है, हमें उसके काम दिन में करना अवश्य है ; वह रात आने वाली है, जिसमें कोई काम नहीं कर सकता” (यूहन्ना 9:4)। यीशु ने अपनी सेवकाई के काम में बहुत मेहनत की लेकिन साथ ही, उन्होंने अपने शरीर की भी देखभाल की। पवित्रशास्त्र कहता है, “यीशु ने उन से कहा, तुम आप अलग किसी एकांत स्थान में चलकर थोड़ा विश्राम करो।” पवित्रशास्त्र कहता है, “क्योंकि बहुत से लोग आते-जाते थे, और उनके पास खाने का भी समय नहीं होता था। उस ने उन से (शिष्यों) कहा, “तुम आप अलग किसी एकांत स्थान में चलकर थोड़ा विश्राम करो।”
यहाँ तक कि जब यीशु अकेले विश्राम कर रहे होते थे, लोग उनसे मिलने वहाँ भी आ जाते। उन्होंने आश्चर्यकर्म करके पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ लेकर पाँच हज़ार लोगों के साथ बाँटी और उन्हें विदा किया (मरकुस 6:45)। अगले ही पद में हम पढ़ते हैं, “और जब उन्होंने, उन्हें विदा किया, तो वह प्रार्थना करने के लिए पहाड़ पर चले गये”।
सेवकाई करने के बाद, वह विश्राम के लिए निर्जन स्थान में गये। वह जगह थी, गतसमनी बाग। जैसे-जैसे वह प्रार्थना करते गये, उन्होंने अपनी आत्मा को तरोताजा और मजबूत होते हुए और शरीर को स्वस्थ होते हुए महसूस किया होगा। हाँ। वह उस ताज़गी को जानते थे जो प्रार्थना के द्वारा मिल सकती है।
उन्होंने अपने शिष्यों की भी देखभाल की। वह उनके साथ ऊँचे पहाड़ पर चढ़ गये और उन्हें पर्वत में रूपान्तरण के अनुभव के बारे में बताया। उन्होंने उन्हें प्रार्थना की सामर्थ्य को दिखाकर प्रशिक्षित किया। क्रूस पर चढ़ाये जाने के दौरान भी, उन्होंने अपनी माता मरियम की देखभाल की चिंता की और उन्हें सुरक्षित रूप से यूहन्ना को सौंप दिया (यूहन्ना 19:26, 27)।
परमेश्वर के प्यारे बच्चों, सुनिश्चित करें कि सारा, मन, आत्मा और शरीर अनुशासित रहें। तभी आप दिव्य चंगाई और अच्छे स्वास्थ्य के साथ पूर्णता की ओर बढ़ सकते हैं। यह आपको परमेश्वर के आगमन के लिए खुद को तैयार करने में भी मदद करेगा।
ध्यान करने के लिए: “परन्तु तुम्हारे लिए जो मेरे नाम का भय मानते हो,धर्म का सूर्य उदय होगा, और उसकी किरणों के द्वारा तुम चंगे हो जाओगे” (मलाकी 4:2)।

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