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जुलाई 07 – राजा का दर्शन!
“अतः अबशालोम राजा का दर्शन बिना पाए यरूशलेम में दो वर्ष रहा” (2 शमूएल 14:28)।
दाऊद और उसका पुत्र अबशालोम यरूशलेम में ही रहते थे। परन्तु पवित्रशास्त्र कहता है कि अबशालोम ने पूरे दो वर्ष तक राजा का मुंह नहीं देखा। यह कितनी दुखद बात है!
आप यरूशलेम में रह रहे होंगे जो कि चर्च है। आप अन्य विश्वासियों के साथ आराधना में शामिल हो सकते हैं। आप यह भी कह सकते हैं कि आप पवित्रशास्त्र पढ़ने और प्रार्थना करने में तत्पर हैं। लेकिन मैं आपके सामने एक सवाल रखना चाहता हूं। “क्या आपने राजा का दर्शन किया है? क्या आपने राजाओं के राजा की आँखों से आँखें मिलाई हैं? क्या उन्होंने आपसे बात की है?”
आज, दुनिया में बहुत सारे तथाकथित विश्वासी हैं। लेकिन वास्तव में, उनका और परमेश्वर के बीच कोई संबंध नहीं है। वे परमेश्वर के साथ व्यक्तिगत संगति बनाए नहीं रखते हैं और वे चर्च में एक कर्तव्य की तरह आते हैं। यरूशलेम सम्राट का शहर है। यह परमेश्वर द्वारा चुना गया स्थान है। महिमामय चर्च भी वहां है। वहाँ लेवी और याजक कलीसिया में सेवा करने के लिए हैं। सब से ऊपर, स्वर्ग के राजा वहाँ राज्य करते हैं।
मैं आपका ध्यान एक अन्य पवित्रशास्त्रीय भाग पर दिलाना चाहूंगा। यीशु मसीह वह हैं जिन्हें ‘दाऊद का पुत्र’ कहा जाता था। लेकिन, यीशु हमेशा अपने प्रभु परमेश्वर का दर्शन करते रहे। भोर को वह एकांत में जाते और पिता परमेश्वर का दर्शन पाते थे। रात को वह गतसमनी की वाटिका में गये और परमेश्वर का दर्शन किया। जब उन्हें क्रूस पर कीलों से ठोंका गया, तो पिता परमेश्वर ने एक क्षण के लिए उनसे अपना चेहरा छिपा लिया और यीशु मसीह इसे सहन करने में असमर्थ थे। उन्होंने पुकार कर कहा, “हे मेरे परमेश्वर,हे मेरे परमेश्वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया?” (भजन 22:1)।
एक मसीही की वास्तविक महानता क्या है? परमेश्वर को देखने के अलावा और कुछ नहीं है। परमेश्वर को देखने के कारण ही मूसा का मुख सूर्य के समान चमका। परमेश्वर आपके चेहरे को भी प्रकाशवान बनाते हैं। पवित्रशास्त्र कहता है, “धन्य हैं वे जिनके मन शुद्ध हैं, क्योंकि वे परमेश्वर को देखेंगे” (मत्ती 5:8)।
अबशालोम के दो वर्ष तक राजा का मुख न देखने का क्या कारण था? यह उसके पाप के अलावा और कुछ नहीं है। उसके पापों ने उसकी अंतरात्मा को भेद दिया। उसी हिचकिचाहट के कारण दो वर्ष तक राजा का मुख देखे बिना यरूशलेम में रहा।
परमेश्वर के प्रिय बच्चों, पहले अपने सभी पापों को स्वीकार करें और यह आपके लिए परमेश्वर के साथ संगति करने और उसका चेहरा देखने का मार्ग प्रशस्त करेगा। यीशु मसीह का लहू आपको शुद्ध करने के लिए सामर्थ्यवान है। जब आपके पाप दूर हो जाएंगे, तो आप परमेश्वर का दर्शन कर पाएंगे। जब बाधारुपी दीवार हटा दी जाती है, तो परमेश्वर का प्रकाश आप पर चमकेगा।
ध्यान करने के लिए: “सुनो, यहोवा का हाथ ऐसा छोटा नहीं हो गया कि उद्धार न कर सके, न वह ऐसा बहिरा हो गया है कि सुन न सके” (यशायाह 59:1)।