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जून 11 – मण्डराने वाला आत्मा!

“पृथ्वी बेडौल और सुनसान पड़ी थी, और गहरे जल के ऊपर अन्धियारा था; तथा परमेश्वर का आत्मा जल के ऊपर मण्डराता था।”( उत्पत्ति 1:2)

बेडौल ,सुनसान और अंधेरे जगह पर आज भी परमेश्वर का आत्मा मंडराता है। वह इन परिस्थितियों को बदल कर सही ढंग में, भरपूर करके और प्रकाशमान करने हेतु आज्ञा देंगे। यदि आपका घर भी आज बेढंगा, सुनसान है ,तो पवित्र आत्मा को प्रेम से बुलाएं।” आदि में जल के ऊपर मंडराने वाले पवित्रआत्मा ,आज हमारे ऊपर भी मंडराकर परमेश्वरीय शांति और आनंद को लाइए” ऐसा मांगे। पवित्र शास्त्र कहता है,”फिर तू अपनी ओर से साँस भेजता है,और वे सिरजे जाते हैं;और तू धरती को नया कर देता है।”(भजन 104 :30)

पवित्र आत्मा का मंडराना वैसा ही है जैसे एक पक्षी अंडा देने के बाद उसे सेकने हेतु, प्रेम से उसके ऊपर पंखों को फैलाकर उसके ऊपर बैठती है। उस तरह सेकने की प्रक्रिया से अंडे गर्म हो जाते हैं और उनके अंदर से बिना किसी आकार का जो द्रव्य होता है वह एक आकार लेकर सुंदर बच्चे के रूप में बाहर निकल आते हैं। यह मनुष्य की बुद्धि से परे है। उसी प्रकार जहां कुछ भी नहीं है उसमें से परमेश्वर महा महिमा वाली एक चीज को बनाने के लिए मंडरा रहे हैं।

पवित्र आत्मा को सबसे पहले उत्पत्ति की पुस्तक पहले अध्याय के दूसरे वचन में ही हम देखते हैं। उस समय अपने कार्य को आरंभ करने वाले पवित्र आत्मा को प्रकाशितवाक्य के 22 वें अध्याय के 17वें वचन तक कार्य करते हुए हम देखते हैं। जब वह कार्य करते हैं तो वहां जीवन की सृष्टि होती है। सृष्टि की सामर्थ्य दिखाई देती हैं। उसी समय यदि वह कार्य ना करें तो फिर से वही बेडौल, सुनसान और अंधकार की स्थिति निर्मित हो जाएगी।

आदि में प्रकृति के ऊपर मंडराने वाला आत्मा बाद में मनुष्यों के ऊपर मंडराने लगा। उपद्रव एवं पापों के कारण मरे हुए मनुष्यों के ऊपर उन को पुनर्जीवित करने के लिए उनके ऊपर मंडराया । पवित्र शास्त्र कहता है,”आत्मा तो जीवनदायक है, शरीर से कुछ लाभ नहीं।”(यूहन्ना 6: 63)

परमेश्वर दुनिया के किसी भी व्यक्ति को पुनर्जीवित करके उसे दृढ़ करके, ताकत देकर उसके जीवन में सही ढंग, भरपूरी और उजाला को लाने में समर्थ हैं।

पहले प्रकृति के ऊपर मंडराने वाला , व्यक्तिगत रूप से मनुष्य के ऊपर मंडराने वाला आज कलीसियाओं के ऊपर मंडरा रहा है। प्रकाशितवाक्य के दूसरे और तीसरे अध्याय में ,”पवित्र आत्मा कलीसिया से कहता है”ऐसा 7 बार वहां लिखा गया है।यदि आपके पास पवित्र आत्मा की आवाज को सुनने के कान हैं तो उनकी धीमी आवाज आप स्पष्ट रूप से सुन सकते हैं।

परमेश्वर के प्यारे बच्चों परमेश्वर का आत्मा आपके ऊपर भी मंडराकर आपको आशीष देवें।

ध्यान करने केलिए, “इसी रीति से आत्मा भी हमारी दुर्बलता में सहायता करता है : क्योंकि हम नहीं जानते कि प्रार्थना किस रीति से करना चाहिए, परन्तु आत्मा आप ही ऐसी आहें भर भरकर, जो बयान से बाहर हैं, हमारे लिये विनती करता है।”(रोमियो 8:26)।

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