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नवंबर 26 – विचार: एक युद्धक्षेत्र है।

“इस कारण कि परमेश्वर को जानने पर भी उन्होंने परमेश्वर के योग्य बड़ाई और धन्यवाद न किया, परन्तु व्यर्थ विचार करने लगे, यहां तक कि उन का निर्बुद्धि मन अन्धेरा हो गया.” (रोमियों 1:21)

बहुत से लोग इस बात से अनजान हैं कि उनका विचार क्षेत्र एक युद्धक्षेत्र है. वे एक काल्पनिक दुनिया में रहते हैं और अपने विचारों में पाप करते हैं. यदि आप अपने विचारों और इरादों के बारे में सावधान नहीं हैं, तो आप अपने आध्यात्मिक जीवन में केवल असफलता को ही गले लगाएँगे.

बहुत से लोग हैं जो रात में प्रार्थना नहीं करते. वे टेलीविजन के सामने बैठते हैं और अश्लील नृत्यों का आनंद लेते रहते हैं, जो उनकी कामुक इच्छाओं को उत्तेजित करते हैं. इस कारण से, उनके सपनों के माध्यम से, वे अशुद्ध आत्माओं से ग्रस्त हो जाते हैं; और वे व्यर्थ हो जाते हैं और अपने विचारों में खो जाते हैं.

शास्त्र कहता है, “क्योंकि जैसा वह अपने मन में विचार करता है, वैसा ही वह है” (नीतिवचन 23:7). विचार मनुष्य को बनाते हैं. विचार शब्द बन जाते हैं, शब्द कर्म बन जाते हैं; और कर्म उसके जीवन को निर्धारित करते हैं.

यदि किसी व्यक्ति के पास अच्छे विचार और इरादे हैं, तो वह महान होगा. यदि आप अपने विचारों को पवित्र आत्मा को सौंप देते हैं, तो वह आपको स्वर्गीय विचार देगा.

प्रेरित पौलुस लिखते हैं, “क्योंकि हमारी लड़ाई के हथियार शारीरिक नहीं, पर गढ़ों को ढा देने के लिये परमेश्वर के द्वारा सामर्थी हैं. सो हम कल्पनाओं को, और हर एक ऊंची बात को, जो परमेश्वर की पहिचान के विरोध में उठती है, खण्डन करते हैं; और हर एक भावना को कैद करके मसीह का आज्ञाकारी बना देते हैं.” (2 कुरिन्थियों 10:4-5). जैसे ही आपके दिल में बुरे विचार उठें, अपने दिल में परमेश्वर की स्तुति का गीत गाएँ और बुरे विचारों का सामना करें.

यीशु मसीह ने गुलगोथा पर अपनी महान लड़ाई लड़ी. ‘गुलगोथा’ शब्द का अर्थ खोपड़ी का स्थान है. इसका अर्थ विचारों का क्षेत्र भी है, जो आपके सभी विचारों और इरादों का उद्गम है. परमेश्वर ने हमें अपने विचारों पर विजय दिलाने की इच्छा की, उस बहुमूल्य रक्त के माध्यम से जो प्रभु यीशु ने बहाया था, जब काँटों का ताज उनके सिर पर जबरन पहनाया गया था.

एक कुएँ के ऊपर हज़ारों पक्षी उड़ सकते हैं. लेकिन अगर पक्षियों को कुएँ के ऊपर बैठने दिया जाए, तो वे कुएँ में बीज गिराएँगे और बीज जड़ पकड़ेंगे, बड़े पेड़ बनेंगे और पूरे कुएँ को बंद कर देंगे.

इसी तरह, आपके विचार-क्षेत्र में हज़ारों विचार चल सकते हैं. लेकिन अगर आप बुरे विचारों को पालते हैं, तो वे आपके दिल में जड़ पकड़ लेंगे और आपके आध्यात्मिक जीवन को नष्ट कर देंगे. इसलिए, अपने हर विचार में पवित्रता लाएँ और अपनी सभी लड़ाइयों में विजय प्राप्त करें.

मनन के लिए: “और इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो.” (रोमियों 12:2)

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