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नवंबर 11 – सब बातों का निष्कर्ष।
“सब कुछ सुना गया; अन्त की बात यह है कि परमेश्वर का भय मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर; क्योंकि मनुष्य का सम्पूर्ण कर्त्तव्य यही है.” (सभोपदेशक 12:13)
सुलैमान जैसा बुद्धिमान कोई कभी नहीं हुआ. जब उसने परमेश्वर के सामने खुद को दीन किया और प्रार्थना की, “हे प्रभु, मुझे बुद्धि प्रदान करो,” तो प्रभु ने कृपापूर्वक उसे असाधारण बुद्धि प्रदान की, “पर यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी हो, तो परमेश्वर से मांगे, जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता है; और उस को दी जाएगी.” (याकूब 1:5). आज, वही प्रभु हमें भी बुद्धि देने को तैयार हैं.
बुद्धिमान व्यक्ति सुलैमान, जिसने नीतिवचन, श्रेष्ठगीत और सभोपदेशक लिखे, ने सभी बातों का ध्यानपूर्वक परीक्षण किया—सांसारिक ज्ञान और आध्यात्मिक सत्य दोनों का—और इस अंतिम निष्कर्ष पर पहुँचा: सब कुछ सुना गया; अन्त की बात यह है कि परमेश्वर का भय मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर; क्योंकि मनुष्य का सम्पूर्ण कर्त्तव्य यही है.
भय दो प्रकार का हो सकता है: मनुष्य का भय और परमेश्वर का भय.
मनुष्य का भय फंदा लाता है (नीतिवचन 29:25). कुछ लोग मृत्यु से डरते हैं; कुछ लोग अधिकार रखने वालों से; कुछ लोग दुष्टात्माओं से डरते हैं. ऐसे भय व्यक्ति को गुलाम बना देते हैं और अंततः उसे आग और गंधक से जलती हुई झील में डाल देते हैं (प्रकाशितवाक्य 21:8).
परन्तु परमेश्वर का भय हमें पाप से बचाता है और पवित्रता में बनाए रखता है. बाइबल कहती है, “यहोवा का भय मानना बुराई से घृणा करना है.” (नीतिवचन 8:13) यूसुफ के पाप से दूर भागने के निर्णय का रहस्य क्या था? यह परमेश्वर का भय था (उत्पत्ति 39:9). वह जानता था कि परमेश्वर उसे प्रेम और दया से देख रहा है और उसने सोचा, “तो फिर मैं ऐसी बड़ी दुष्टता करके परमेश्वर के विरुद्ध पाप कैसे करूँ?”
क्योंकि यूसुफ परमेश्वर का भय मानता था, इसलिए उसे भरपूर आशीषें मिलीं. मिस्र में, उसे ऊँचा और अत्यधिक सम्मानित किया गया. बाइबल कहती है, “यहोवा का भय मानने से आयु बढ़ती है.” (नीतिवचन 10:27). जो परमेश्वर का भय मानता है, उसका मन दृढ़ और सिंह के समान निर्भीक होता है. वह मनुष्यों के सामने नहीं डरता.
दानिय्येल को देखिए. वह परमेश्वर का भय मानता था और धर्म का पालन करता था. जब अधिकारियों ने उसमें दोष ढूँढ़ने की कोशिश की, तो उन्होंने प्रार्थना करने पर रोक लगाने का आदेश जारी कर दिया. फिर भी दानिय्येल राजा के नियम से नहीं डरा और सिंहों की माँद से भी विचलित नहीं हुआ. शास्त्र कहता है:
“यहोवा के भय मानने से दृढ़ भरोसा होता है, और उसके पुत्रों को शरणस्थान मिलता है. यहोवा का भय मानना, जीवन का सोता है, और उसके द्वारा लोग मृत्यु के फन्दों से बच जाते हैं.” (नीतिवचन 14:26-27)
परमेश्वर के प्रिय लोगों, जो प्रभु का भय मानता है, वह सर्वदा बना रहेगा.
मनन के लिए पद: “चाहे पापी सौ बार पाप करे अपने दिन भी बढ़ाए, तौभी मुझे निश्चय है कि जो परमेश्वर से डरते हैं और अपने तईं उसको सम्मुख जानकर भय से चलते हैं, उनका भला ही होगा;” (सभोपदेशक 8:12)