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जून 25 – कष्टों में पूर्णता!

“क्योंकि जिस के लिये सब कुछ है, और जिस के द्वारा सब कुछ है, उसे यही अच्छा लगा कि जब वह बहुत से पुत्रों को महिमा में पहुंचाए, तो उन के उद्धार के कर्ता को दुख उठाने के द्वारा सिद्ध करे.” इब्रानियों 2:10

यीशु, जो स्वर्ग और पृथ्वी का प्रभु है, वो हमारे लिए पृथ्वी पर आया. उसने कष्टों के माध्यम से मुक्ति के द्वार को हम मानव जाती के लिये खोला. प्रभु ने यह बात अपने शिष्यों पर भी प्रकट की. पवित्रशास्त्र कहता है, “उस समय से यीशु अपने चेलों को दिखाने लगा, कि उसे यरूशलेम को जाना होगा, और पुरनियों और प्रधान याजकों और शास्त्रियों के हाथ से बहुत दुख उठाना होगा, और मार डाला जाएगा, और तीसरे दिन जी उठना होगा” ( मती 16: 21).

यह सुनकर जहाँ सभी शिष्य चुप रहे, वहीं पतरस अपने आप को रोक नहीं सका. वह प्रभु को एक ओर ले गया और उससे कहने लगा, “इस पर पतरस उसे अलग ले जाकर झिड़कने लगा कि हे प्रभु, परमेश्वर न करे; तुझ पर ऐसा कभी न होगा. उस ने फिरकर पतरस से कहा, हे शैतान, मेरे साम्हने से दूर हो: तू मेरे लिये ठोकर का कारण है; क्योंकि तू परमेश्वर की बातें नहीं, पर मनुष्यों की बातों पर मन लगाता है.” (मत्ती 16:22-23).

मनुष्य सुखमय जीवन के बारे में सोचता है. लेकिन प्रभु कष्टों के माध्यम से परिपूर्ण जीवन के बारे में सोचते हैं. मनुष्य जीवन में ऊपर उठने का चिंतन करता है; जबकि प्रभु संसार  में अपने लोगो को सूली उठा कर चलने के लिए बुलाते हैं. मनुष्य नाम और प्रसिद्धि पाने के बारे में सोचता है; जबकि प्रभु मानवजाति के लिए स्वयं को उंडेलने का इरादा रखते हैं. हमको अपने ह्रदय में मसीह के मन को आमंत्रित करना है!

पवित्रशास्त्र कहता है, “जो कोई मसीह यीशु में भक्तिपूर्वक जीवन जीना चाहता है, वह उत्पीड़न सहेगा” (2 तीमुथियुस 3:12). “क्योंकि मसीह की ओर से तुम्हें न केवल उस पर विश्वास करने का वरन् उसके लिये दुख उठाने का भी अधिकार दिया गया है” (फिलिप्पियों 1:29). कोई महिमा नहीं है; क्रूस के बिना कोई सिंहासन नहीं. कष्टों के बिना कोई पूर्णता नहीं है. और कष्टों के मार्ग के अलावा स्वर्ग का कोई रास्ता नहीं है!

प्रभु यीशु ने अपने शिष्यों को आनंद लेने का तरीका नहीं सिखाया, बल्कि शुरुआत से ही उन्हें कष्ट सहने के लिए तैयार किया. उन्होंने कहा, “धन्य हैं वे जो शोक मनाते हैं, क्योंकि उन्हें शान्ति मिलेगी. धन्य हैं वे जो धार्मिकता के कारण सताए जाते हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है. धन्य हो तुम, जब वे मेरे कारण तुम्हारी निन्दा करते, और सताते, और झूठ बोलकर तुम्हारे विरोध में सब प्रकार की बुरी बातें कहते हैं” (मती 5:4, 10-11).

“यदि संसार तुम से बैर रखता है, तो तुम जान लो कि उस ने तुम से पहिले मुझ से बैर रखा. यदि तुम संसार के होते, तो संसार अपनों से प्रेम रखता. तौभी तुम संसार के नहीं, परन्तु मैं ने तुम्हें संसार में से चुन लिया है, इस कारण संसार तुम से बैर रखता है. वह वचन स्मरण रखो जो मैं ने तुम से कहा था, कि दास अपने स्वामी से बड़ा नहीं होता. यदि उन्होंने मुझे सताया, तो तुम्हें भी सताएंगे” (यूहन्ना 15:18-20). प्रभु के प्रिय लोगो, यह कभी मत भूले कि जब आप अपने जीवन में प्रत्येक कष्ट से गुज़रते हैं तो प्रभु आपके साथ चल रहे हैं. इसलिए, उस आश्वासन में, प्रतिदिन पूर्णता की ओर प्रगति करें.

मनन के लिए पद: “यह बात सच है, कि यदि हम उसके साथ मर गए हैं तो उसके साथ जीएंगे भी. यदि हम धीरज से सहते रहेंगे, तो उसके साथ राज्य भी करेंगे: यदि हम उसका इन्कार करेंगे तो वह भी हमारा इन्कार करेगा.” (2 तीमुथियुस 2:11-12).

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