Appam, Appam - Hindi

जुलाई 07 – वह समृद्ध हुआ।

“इसलिये यहोवा उसके संग रहा; और जहां कहीं वह जाता था, वहां उसका काम सफल होता था. और उसने अश्शूर के राजा से बलवा कर के, उसकी आधीनता छोड़ दी. (2 राजा 18:7)

यह पद राजा हिजकिय्याह के बारे में बोलता है. हिजकिय्याह नाम का अर्थ है “प्रभु मेरी शक्ति है.” जो कोई भी प्रभु को अपनी शक्ति के रूप में स्वीकार करता है और यह कहते हुए उससे लिपटा रहता है, “हे प्रभु, हे मेरे बल, मैं तुझसे प्रेम करूंगा” (भजन 18:1) — ऐसे लोग जहाँ कहीं भी जाते हैं, उन्हें हमेशा अनुग्रह, फल और समृद्धि मिलेगी.

राजा हिजकिय्याह के समृद्ध होने का मुख्य कारण 2 राजा 18:4 में पाया जाता है. “उसने ऊंचे स्थान गिरा दिए, लाठों को तोड़ दिया, अशेरा को काट डाला. और पीतल का जो सांप मूसा ने बनाया था, उसको उसने इस कारण चूर चूर कर दिया, कि उन दिनों तक इस्राएली उसके लिये धूप जलाते थे; और उसने उसका नाम नहुशतान रखा.”

मूर्तिपूजा परमेश्वर की नज़र में सबसे घृणित पापों में से एक है, क्योंकि यह परमेश्वर को उसके योग्य महिमा से वंचित करता है और इसे बेजान चीज़ों को देता है. परमेस्वर ने स्पष्ट रूप से आदेश दिया: “तू मुझे छोड़ दूसरों को ईश्वर करके न मानना॥” (निर्गमन 20:3). यह सभी आज्ञाओं में से पहली और आधारभूत आज्ञा है.

लेकिन मूर्तिपूजा केवल नक्काशीदार प्रतिमाओं की आराधना नहीं है. जो कुछ भी हमारे जीवन में परमेस्वर के स्थान पर कब्जा कर लेता है – वह मूर्ति बन जाता है. जो कुछ भी हम परमेस्वर से अधिक महत्व देते हैं, उस पर अधिक ध्यान देते हैं, या उससे अधिक प्राथमिकता देते हैं – वह मूर्ति बन जाता है.

कुछ लोग अपनी पढ़ाई को अपना आदर्श बना लेते हैं. कुछ लोग अपनी नौकरी को अपना आदर्श बना लेते हैं, काम के नाम पर रविवार को भी कलिसिया नहीं जाते. कुछ लोग लालच के कारण प्रभु के दिन अपनी दुकानें भी बंद नहीं करते. बाइबल कहती है – “लोभ मूर्तिपूजा है.” (कुलुस्सियों 3:5)

परमेस्वर के प्यारे लोगो, अपने दिल और घर से हर तरह की मूर्तिपूजा को निकाल फेके. अपने दिल पर प्रभु यीशु को राजा के रूप में सिंहासनारूढ़ करो. फिर, जैसे प्रभु हिजकिय्याह के साथ थे, वैसे ही वे आपके साथ भी रहेंगे, और आप जो कुछ भी करेगे वह सफल होगा.

हिजकिय्याह के अनुग्रह का एक और कारण यह था: “अपने राज्य के पहिले वर्ष के पहिले महीने में उसने यहोवा के भवन के द्वार खुलवा दिए, और उनकी मरम्मत भी कराई.” (2 इतिहास 29:3) उसे यहोवा के भवन के लिए जोश था — और इसलिए, परमेश्वर ने उसके लिए अनुग्रह के द्वार खोले और जो कुछ उसने किया उसमें समृद्धि का आदेश दिया.

नया नियम हमसे पूछता है: “क्या तुम नहीं जानते, कि तुम्हारी देह पवित्रात्मा का मन्दिर है; जो तुम में बसा हुआ है और तुम्हें परमेश्वर की ओर से मिला है, और तुम अपने नहीं हो?” (1 कुरिन्थियों 6:19).

परमेश्वर के प्रिय लोगो, पाप या वासना को कभी भी अपने शरीर को अपवित्र न करने दो, जो परमेश्वर का पवित्र मंदिर है.

मनन के लिए: “वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती नालियों के किनारे लगाया गया है. और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं. इसलिये जो कुछ वह पुरूष करे वह सफल होता है॥” (भजन 1:3)

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