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अप्रैल 29 – धन्यवाद दें।
“हर बात में धन्यवाद करो: क्योंकि तुम्हारे लिये मसीह यीशु में परमेश्वर की यही इच्छा है.” (1 थिस्सलुनीकियों 5:18).
हर परिस्थिति में और हर चीज के लिए धन्यवाद दें. यह हमारे लिए मसीह यीशु में परमेश्वर की इच्छा है. और जब हम ऐसा करते हैं तो आप उस व्यक्ति को देखेंगे जिसने आपके साथ गलत किया, और परमेश्वर को धन्यवाद देगे जिससे आपके अंदर एक धन्यवादित हृदय देख कर वो मनुष्य भी प्रभु को जानने पायेगा.
क्षमा करने के लिए सबसे कठिन चीजों में से एक पति और पत्नी के बीच वफ़ादारी की कमी है; जो असहनीय है. जिन्होंने अपना बोझ मसीह यीशु पर डाल दिया है, वे सांत्वना प्राप्त कर सकते हैं. लेकिन दूसरों के पास उन्हें सांत्वना देने वाला कोई नहीं होगा.
एक बार एक महिला, जब उसने अपने पति को किसी अन्य महिला के साथ देखा, तो वह इतनी क्रोधित हुई कि वह उसके पास दौड़ी और उसके बीच गरमागरम बहस हुई. पति ने कुछ कहानी गढ़ने की कोशिश की लेकिन वह मानने को तैयार नहीं थी. उसने महसूस किया कि उसका पूरा जीवन टूट गया है; और वह फिर सो न सकी.
जब वह कलिसिया मे गई, तो पादरी ने उसे तीन सलाहें दीं. एक, पति के लिए दिल से प्रार्थना करना. दूसरा, अपने पति को आशीर्वाद देना. और तीसरा, पूरे हृदय से परमेश्वर का धन्यवाद करना. हालाँकि उन्हें इन सलाहों का पालन करना मुश्किल लगता था, लेकिन समय बीतने के साथ उन पर इसका प्रभाव पड़ने लगा. और उसके पति में सकारात्मक परिवर्तन आया; और वह अपने गलत रिश्ते से बाहर आ गया और अपनी पत्नी को पहले से भी ज्यादा प्यार करने लगा.
परमेश्वर के प्रिय लोगो, यदि किसी ने आपको चोट पहुंचाई है, तो कृपया प्रातःकाल उसके लिए प्रार्थना करें और उसे आशीष दें. हर बात में धन्यवाद दे. जब आप अपना सारा बोझ यहोवा पर डाल देंगे, तो वह आपका सहायक होगा और वह आपके लिए लड़ेगा. वह सब कुछ पूर्ण और सिद्ध करेगा जो आपसे संबंधित है. तब ईश्वर की शांति आपके हृदय को नदी की तरह भर देगी. क्षमाशील प्रेम, घोर पापी को भी महान संत में बदल देगा.
“हे यहोवा, मैं ने गहिरे स्थानों में से तुझ को पुकारा है! परन्तु तू क्षमा करने वाला है? जिस से तेरा भय माना जाए.” (भजन संहिता 130:1,4). भजनकार ने अपने हृदय की गहराइयों से पुकारा क्योकि उसको मालूम था की ऊपरी प्रार्थना से कोई फायदा नहीं होता. आपको तब तक आराम नहीं करना चाहिए जब तक कि आपका हृदय यीशु मसीह के समान परिवर्तित न हो जाए.
मनन के लिए पद: “वे मुझ से भलाई के बदले बुराई करते हैं; यहां तक कि मेरा प्राण ऊब जाता है. जब वे रोगी थे तब तो मैं टाट पहिने रहा, और उपवास कर करके दु:ख उठाता रहा; और मेरी प्रार्थना का फल मेरी गोद में लौट आया.” (भजन संहिता 35:12-13).