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अक्टूबर 24 – बुद्धि प्रमुख चीज़ है।
“बुद्धि श्रेष्ट है इसलिये उसकी प्राप्ति के लिये यत्न कर; जो कुछ तू प्राप्त करे उसे प्राप्त तो कर परन्तु समझ की प्राप्ति का यत्न घटने न पाए.” (नीतिवचन 4:7).
बुद्धि सबसे महत्वपूर्ण चीज़ है. परमेश्वर का वचन उसकी दिव्य बुद्धि है; और मसीह समस्त ज्ञान का स्रोत है. जब हम परमेश्वर के वचन को महत्व देते है और भूख और प्यास से उसकी खोज करते हो, तो हम बुद्धिमान हो जाओगे.
परमेश्वर का वचन केवल ज्ञान का नहीं है; लेकिन शक्ति का भी श्रोत है, क्योंकि परमेश्वर का वचन जीवित, और सामर्थी, और हर एक दोधारी तलवार से भी बहुत तेज़ है. और यदि आपके पास परमेश्वर के ऐसे शक्तिशाली शब्द हैं, तो शैतान आपके पास नहीं आ सकता.
येसी बुद्धि प्राप्त करने के लिए, केवल परमेश्वर के वचन को पढ़ना ही पर्याप्त नहीं है. परन्तु हमे उनके नाम को पुकारते हुए उससे बुद्धि की माग करना है, और प्रभु के सिद्धांतों को अपने जीवन में लागू करें. और परमेश्वर का वचन आपके जीवन में बड़ी ताज़गी और आशीष को लाएगा. “यहोवा की व्यवस्था खरी है, वह प्राण को बहाल कर देती है; यहोवा के नियम विश्वासयोग्य हैं, साधारण लोगों को बुद्धिमान बना देते हैं;” (भजन संहिता 19:7).
धर्मग्रंथ पढ़े और उन पदो को खोजें जो आपको आपकी समस्याओं में प्रभु की शामर्थ से भर देगे; उन को पढ़े; और उन्हें अपने जीवन में लागू करें.
जब आप पहले परमेश्वर के राज्य और उसकी धार्मिकता की तलाश करेंगे, तो प्रभु निश्चित रूप से आपको उस पूरे दिन के लिए बुद्धि प्रदान करेंगे.
परमेश्वर के प्रिय लोगो, आपको बुद्धि से परिपूर्ण होना चाहिए. यहां तक कि आप जो छोटे-छोटे कार्य भी करें, उनमें दिव्य ज्ञान प्रकट होना चाहिए. इसलिये परमेश्वर के वचन को महत्व दे परमेश्वर के वचन से प्रेम करे और उसे पढ़े.
मनन के लिए: “बुद्धि को प्राप्त कर, समझ को भी प्राप्त कर; उन को भूल न जाना, न मेरी बातों को छोड़ना.” (नीतिवचन 4:5).