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जून 17 – शांत रहें!

“चुप हो जाओ, और जान लो कि मैं ही परमेश्वर हूँ।”( भजन 46:10)।

परमेश्वर के चरणो में शांत होकर बैठना एक आशीषित अनुभव है। परमेश्वर की उपस्थिति में चुपचाप बैठना आपके विश्वास को दर्शाता है। उन पर भरोसा करके आपके सारे बोझों को उनको देकर स्तुति करते हुए विश्राम करना यह आप उसे कितना प्रेम करते हैं,उसे प्रकट करता है।

मनुष्य के जीवन में परमेश्वर की उपस्थिति में शांत रहना बहुत आवश्यक है। हमारे अच्छे परमेश्वर हमें थमे हुए पानी के  पास लेकर चलने वाले  परमेश्वर नहीं हैं क्या? तेजी से चलने वाली इस दुनिया में, मनुष्य चुपचाप बैठना नहीं चाहता है। सारे बोझों को अपने सर के ऊपर रखकर चिंताओं को उठा रहा है।

सेवकाई में नया आया हुआ एक सेवक, उसके करने योग्य सारे दायित्वों के बारे में लगातार बोलता रहा। ‘इस सप्ताह हमें 5 परमेश्वर के संदेशों को तैयार करना है। तीन शादियों का निर्वाहन करना है। वहां भी परमेश्वर के वचन को सुनाना है। यहां जन्म दिवस समारोह में उपदेश देना है। बहुत सारे बीमारों से मिलना है। वरिष्ठ लोगों के द्वारा तैयार किए गए कई शिवरों में वचन को सुनाना है।’ इस प्रकार वह एक के बाद एक, लगातार बोलता रहा।

वहां बैठे एक व्यक्ति ने उससे पूछा, “सर आप इतनी सारी जगह पर प्रचार करते हैं ,तो फिर परमेश्वर जब आपसे बात करते हैं, तो उसे सुनने के लिए आपके पास तो समय ही नहीं रहता होगा” यह उस युवा सेवक से पूछे जाने वाला प्रश्न नहीं है, हम सभी से पूछे जाने वाला सवाल है यह। आप क्या जवाब देंगे?

प्रभु यीशु को देखें! उन्होंने बिना रुके दिन-रात सेवकाई की। फिर भी लोगों के बीच में से दूर हट कर,  पिता के साथ संबंध बनाने के लिए वह समय को अलग करते थे। पिता से मिलने अकेले पहाड़ के ऊपर चढ़कर अकेले सारी रात प्रार्थना करने की आदत ने उनके अंदरूनी मनुष्यत्व में सामर्थ्य, ताकत, नई सोच और तेजी को दिया। सुनसान जगह पर जाकर पिता की उपस्थिति में चुपचाप बैठे रहे। गतसमनी के बाग में जाकर खुद को उंण्डेलकर प्रार्थना की।

उस दिन प्रभु के चरणों में चुपचाप बैठने का समय न मिलने पर, मार्था को देखकर यीशु ने कहा,, “मार्था, हे मार्था; तू बहुत बातों के लिये चिन्ता करती और घबराती है। परन्तु एक बात अवश्य है , और उस उत्तम भाग को मरियम ने चुन लिया है जो उससे छीना न जाएगा।”(लूका10:41,42)

परमेश्वर के प्यारे बच्चों परमेश्वर के चरणों में चुपचाप बैठने के अवसरों को तैयार करें। सुबह उठते ही परमेश्वर की उपस्थिति में बैठ जाएं।

ध्यान करने के लिए, “हे अय्यूब! इस पर कान लगा और सुन ले;चुपचाप खड़ा रह, और परमेश्वर केआश्चर्यकर्मों पर विचार कर।” (अय्यूब 37:14)।

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